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ISS से खींची गई चौंकाने वाली तस्वीर! सहारा रेगिस्तान की ऊंची चोटी पर मिला 'सफेद धब्बा', बर्फ नहीं, कुछ और है हकीकत

29 दिसंबर, 2024 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मौजूद एक एस्ट्रोनॉट ने पृथ्वी की सतह की एक ऐसी दुर्लभ और चौंकाने वाली तस्वीर खींची, जो सहारा रेगिस्तान के बारे में हमारी परंपरागत सोच को हिला कर रख देती है। यह तस्वीर चाड देश के उत्तरी....
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29 दिसंबर, 2024 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मौजूद एक एस्ट्रोनॉट ने पृथ्वी की सतह की एक ऐसी दुर्लभ और चौंकाने वाली तस्वीर खींची, जो सहारा रेगिस्तान के बारे में हमारी परंपरागत सोच को हिला कर रख देती है। यह तस्वीर चाड देश के उत्तरी भाग में स्थित एमी कोउसी ज्वालामुखी की है, जो सहारा की सबसे ऊंची चोटी भी है।  पहली नजर में तस्वीर में दिख रहा सफेद धब्बा बर्फ जैसा प्रतीत होता है, लेकिन यह वास्तव में बर्फ नहीं, बल्कि एक सूखी झील के नमक से भरे तल की सतह है। यह नज़ारा यह साबित करता है कि कभी यह क्षेत्र पानी से भरपूर हुआ करता था।

2. एमी कोउसी: सहारा का अग्निपर्वत
एमी कोउसी (Emi Koussi) कोई आम पर्वत नहीं है। यह सहारा का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है, जिसकी ऊंचाई 3,415 मीटर यानी 11,204 फीट है। इसका ज्वालामुखीय शंकु लगभग 70 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है, जो इसे और भी विशाल बनाता है। ISS से ली गई तस्वीर इस ज्वालामुखी के शीर्ष पर केंद्रित है, जहां एक अण्डाकार काल्डेरा मौजूद है। सफेद धब्बा इसी काल्डेरा के सबसे निचले हिस्से में दिख रहा है, जो अपने शीर्ष से लगभग 745 मीटर नीचे स्थित है। सफेद नमक की यह परत चट्टानी काली ढलानों के बीच एक तीव्र कंट्रास्ट बनाती है।

3. सहारा की भूगर्भीय रहस्यमय कहानी
यह सफेद सतह कोई हाल की मौसमीय घटना नहीं है, बल्कि यह सहारा के प्राचीन जल इतिहास की कहानी कहती है। NASA Earth Observatory के अनुसार, यह झील जो पहले इस ज्वालामुखी के अंदर मौजूद थी, अब पूरी तरह सूख चुकी है और इसके तल पर नमक की परतें बची हैं। ये नमक की परतें इस बात का संकेत देती हैं कि सहारा रेगिस्तान कभी एक हरा-भरा, नदियों और झीलों से भरा क्षेत्र हुआ करता था, जो जीवन के लिए अनुकूल था। आज यह इलाका पूरी तरह ड्राई है, लेकिन इसकी सतह पर पुराने समय के जल-प्रणाली के निशान साफ तौर पर देखे जा सकते हैं।

4. भूगर्भीय सुराग: पुराने जल स्रोतों की नदियां
इस तस्वीर में कई पतली, घुमावदार नहरें भी दिखाई देती हैं, जो एमी कोउसी से नीचे की तरफ बहती हैं। भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, ये नहरें पुराने समय में बहने वाले बारिश के पानी और झीलों की मौजूदगी का संकेत हैं। हालांकि अब यह क्षेत्र वर्ष भर शुष्क रहता है, लेकिन ये नहरें इस बात की पुष्टि करती हैं कि सहारा कभी वेट पीरियड (आर्द्र युग) से गुजर चुका है, जब यहां बारिश होती थी और सतही जल बहाव हुआ करता था।

5. सहारा की पारंपरिक छवि को चुनौती
ISS से ली गई यह दुर्लभ तस्वीर केवल एक भूगर्भीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह सहारा रेगिस्तान की पारंपरिक छवि को भी चुनौती देती है। जहां सहारा को आमतौर पर रेत के टीलों और सूखेपन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, वहीं यह तस्वीर उसके गतिशील अतीत और ज्वालामुखीय ताकतों को उजागर करती है।

यह तस्वीर दर्शाती है कि सहारा सिर्फ एक रेगिस्तान नहीं, बल्कि पृथ्वी के बदलते जलवायु इतिहास का एक जिंदा दस्तावेज है। यह रहस्योद्घाटन वैज्ञानिकों को सहारा के भू-इतिहास को दोबारा सोचने के लिए प्रेरित कर रहा है। सहारा रेगिस्तान की यह अंतरिक्षीय तस्वीर हमें यह समझने का नया नजरिया देती है कि हमारी पृथ्वी कितनी जटिल और रहस्यमयी है। एमी कोउसी की नमक से भरी काल्डेरा आज भले ही एक सूखी विरासत हो, लेकिन यह उस काल की झलक है जब सहारा भी जीवन से सराबोर हुआ करता था।

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