Samachar Nama
×

कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

आपने स्कूल कॉलेज में फाइल बनाते समय पेपर में छेद तो ज़रूर किय होगा। जी हां, पेपर पंचिंग मशीन जिसकी मदद से किसी भी कागज पर छेद किया जा सकता है। किसी भी पेपर पर छेद करने के लिये उसे मोड़कर होल पंचिंग मशीन के बीच में रखा जाता है। स्कूल, ऑफिस, कॉलेजों में यह
कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

आपने स्कूल कॉलेज में फाइल बनाते समय पेपर में छेद तो ज़रूर किय होगा। जी हां, पेपर पंचिंग मशीन जिसकी मदद से किसी भी कागज पर छेद किया जा सकता है। किसी भी पेपर पर छेद करने के लिये उसे मोड़कर होल पंचिंग मशीन के बीच में रखा जाता है। स्कूल, ऑफिस, कॉलेजों में यह छोटा सा यंत्र बड़े काम की चीज होती है।

कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

तो चलिए आज आपको इस काम के यंत्र की पूरी कहानी बताते हैं। यह माना जाता है कि होल पंच का पहला पेटेंट 14 नवंबर 1886 को वैज्ञानिक फ्रेडरिक सोनेकेन ने फाइल किया था। आपकी जानकारी के लिये यह बता दे कि फ्रेडरिक एक जर्मन ऑफिस सप्लायर थे। उन्होंने 1875 में अपनी स्वयं की कंपनी एफ. सोनेकेन वर्लैग शुरू की थी।

कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

होल पंचिंग मशीन की खोज के साथ ही फ्रेडरिक ने फ्रेश पंच शीट को जमा करने के लिए रिंग बाइंडर का अविष्कार भी किया था। सबसे खास बात यह है कि इसकी खोज हुए इतने साल गुज़र चुके हैं, फिर भी आज तक रिंग बाइंडर की डिजाइन में कोई बदलाव नहीं आया है। यह आज भी उसी मानक पर काम कर रही है।

कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

सरकारी हो या निजी, हर तरह के कार्यलयों में काम आने वाली यह पंचिंग मशीन लीवर और स्ट्रिंग सिस्टम की मदद से पंच करती है। इसी कारण इस मशीन से एक साथ कई शीट्स को आसानी से पंच किया जा सकता है। वर्तमान में डबल होल पंच का काफी प्रयोग किया जाता है। हालांकि सिंगल होल पंच अब भी प्रचलन में है। इसकी डिजाइन को बड़ा रूप देकर हजारों शीटों को एक साथ पंच करने का काम आजकल प्रिंटिंग उद्योगों में किया जाता है।

कागज में छेद करने वाली पंचिंग मशीन के बारे में जानिए कुछ अहम तथ्य

Share this story