NASA-ISRO के संयुक्त मिशन NISAR की लॉन्चिंग से बदलेगा प्राकृतिक आपदाओं का अलर्ट सिस्टम, अब पहले मिलेगी सुनामी और भूकंप की चेतावनी
30 जुलाई 2025 भारत और दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया जब श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।इसरो और नासा की इस साझेदारी ने पृथ्वी की कक्षा में एक ऐसा उपग्रह भेजा जो भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व चेतावनी देगा। इसे पृथ्वी का एमआरआई स्कैनर इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह पृथ्वी की सतह की इतनी बारीक तस्वीरें ले सकता है कि एक सेंटीमीटर के भी बदलाव को कैद कर सकता है। कामचटका भूकंप और निसार की आवश्यकता
30 जुलाई, 2025 को रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पास ओखोटस्क सागर में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे 12 देशों - रूस, जापान, हवाई, कैलिफ़ोर्निया, अलास्का, सोलोमन द्वीप समूह, चिली, इक्वाडोर, पेरू, फिलीपींस, गुआम और न्यूज़ीलैंड - में सुनामी का खतरा पैदा हो गया। इस भूकंप की शक्ति हिरोशिमा जैसे 9,000-14,000 परमाणु बमों के बराबर थी। कुरील द्वीप समूह में 5 मीटर ऊँची लहरें उठीं। जापान के फुकुशिमा में लोग 2011 की सुनामी की याद से डरे हुए हैं। ऐसी आपदाओं की पहले से खबर मिलना बेहद ज़रूरी है। NISAR यही काम करेगा। यह उपग्रह भूकंप से पहले ज़मीन की हल्की सी हलचल का भी पता लगा सकता है। यह सुनामी की संभावना का पूर्वानुमान लगा सकता है। इसके आँकड़े आपदा प्रबंधन को तेज़ और सटीक बनाएंगे, जिससे जान-माल का नुकसान कम होगा।
NISAR प्राकृतिक आपदाओं की पहले से खबर देने में माहिर है...
भूकंप: यह फॉल्ट लाइन्स (धरती की दरारों) में होने वाली छोटी-छोटी हलचलों का पता लगाता है। इससे भूकंप की संभावना का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।
सुनामी: यह भूकंप के बाद समुद्र की हलचल और तटीय बाढ़ की निगरानी करके सुनामी की चेतावनी देगा।
ज्वालामुखी: यह ज्वालामुखी के नीचे की गतिविधि या ज़मीन के उभार को देखकर विस्फोट की चेतावनी दे सकता है।
भूस्खलन और बाढ़: यह पहाड़ों में मिट्टी की हलचल या नदियों के जलस्तर को मापकर भूस्खलन और बाढ़ की चेतावनी देगा।
NISAR भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
हिमालयी क्षेत्रों में भूकंप, असम-केरल में बाढ़ और उत्तराखंड में भूस्खलन जैसी आपदाएँ भारत में आम हैं। NISAR इनका पहले से पता लगाकर जान-माल की रक्षा करने में मदद करेगा।
कृषि: किसानों को फसल और मिट्टी की नमी की जानकारी से लाभ होगा।
जल प्रबंधन: भूजल और नदी के स्तर को मापकर पानी की कमी से निपटा जा सकता है।
तटीय सुरक्षा: तटीय कटाव और समुद्री बर्फ पर नज़र रखकर समुद्री पर्यावरण को बचाया जा सकेगा।
प्रक्षेपण की कहानी
निसार को इसरो के जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया। यह पहली बार था जब जीएसएलवी ने किसी उपग्रह को सूर्य-समकालिक कक्षा में भेजा। इस उपग्रह का वज़न 2,392-2,800 किलोग्राम है। यह एक एसयूवी जितना बड़ा है। इस प्रक्षेपण को इसरो के यूट्यूब चैनल पर लाखों लोगों ने लाइव देखा। पहले इस मिशन को मार्च 2024 में प्रक्षेपित किया जाना था, लेकिन एंटीना के गर्म होने की समस्या के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। नासा ने इसे ठीक कर दिया। अब यह मिशन पूरी तरह सफल है।

