जानिए अम्ल वर्षा क्या होती, ये होते है इसके कारण और प्रभाव
जयपुर। अम्ल वर्षा भी एक साधारण होने वाली वर्षा ही होती है। इसमें हाइड्रोजन आयन (कम पीएच) उच्च स्तर के होते हैं या सरल शब्दों में कहें तो अम्लीय होते है। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन के कारण अम्ल वर्षा होती है।
ये अम्लीय वर्षा जल उत्पादन करने के लिए वायुमंडल में पानी के अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करती हैं। वैसे तो इसके कई कारण हो सकते है लेकिन वैज्ञानिक इसके कारणोें में मुख्य तौर पर बताते है कि जब जीवाश्म ईंधन का जलाया जाता है,तो सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड रिहा हो जाते है।
यही बाद में अम्ल वर्षा का कारण बनते हैं। इसी प्रकार अम्लीय धुंध वायुमण्डल में पहुंचकर मिट्टी के कणों या धूल के साथ मिल जाते हैं, जो आगे चलकर वनस्पतियों पर अम्ल के रूप में जमा हो जाते हैं। यही जमा हुई धुंध जब जब वर्षा होती है, तो जमा हुइ धुंध का रिसाव होने लगता है, जो अम्लीय धुंध का रूप ले लेते हैं।
इसके प्रक्रिया के बारे में वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि प्राकृतिक और और मानव निर्मित स्रोतों के द्वारा वातावरण में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड पहुँचते हैं। इनमे से कुछ ऑक्साइड सीधे सूखे जमाव के रूप में धरती पर पहुँच जाते हैं।
इसके बाद सूर्य की रोशनी के कारण वायुमण्डल में फोटो ऑक्सीडेंट जैसे ओजोन, का निर्माण होता है। यह फोटो ऑक्सीडेंट सल्फर या नाइट्रोजन के साथ मिलकर सल्फ्युरिक एसिड, नीट्रिक एसिड आदि का निर्माण करते हैं। अगर अम्ल वर्षा के प्रभाव की बात की जाये तो इससे वातावरण में गंध में बदलवा आने लगता है। लोगों की आंखों और शरीर में जलन होने लगती है और साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है।
अम्ल वर्षा के कारण हाइड्रोजन आयन और मिट्टी के पोषक तत्व जैसे कि पोटैशियम, मैग्नेशियम आदि में प्रक्रिया हो जाती है जिससे मिट्टी अनुपजाऊ होने लगता है। यही नहीं ऐतिहासिक इमारतों में इसके कारण क्षय होने लगता है। इसका ताजा उदाहरण ताजमहल में हुई क्षय है।

