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इस गांव में लोग चलते-चलते बीच सड़क पर ही सो जाते हैं, कई दिनों तक नहीं उठते हैं

जयपुर। सोना किसे पसंद नहीं होता है। रात के आगोश में जब नींद बसर होती है, तब आसमान से चांदनी बरसती है, सपनों की एक नई दुनिया सजती है। जी हां, रात का जिक्र होते ही हर चीज शायरी करने लग जाती है। दरअसल खुदा ने इंसान के काम करने के लिए थकने के लिए
इस गांव में लोग चलते-चलते बीच सड़क पर ही सो जाते हैं, कई दिनों तक नहीं उठते हैं

जयपुर। सोना किसे पसंद नहीं होता है। रात के आगोश में जब नींद बसर होती है, तब आसमान से चांदनी बरसती है, सपनों की एक नई दुनिया सजती है। जी हां, रात का जिक्र होते ही हर चीज शायरी करने लग जाती है। दरअसल खुदा ने इंसान के काम करने के लिए थकने के लिए दिन बनाया औऱ आराम के लिए सुकून भरी नींद के लिए रात बनाई। फिर भी कई लोगों को आजकल नींद नहीं आती है। शायद ही कोई बंदा ऐसा होगा जिसे सोना पसंद नहीं हो।इस गांव में लोग चलते-चलते बीच सड़क पर ही सो जाते हैं, कई दिनों तक नहीं उठते हैं

नींद आने के लिए लोग कई तरह के नुस्खे भी अपनाते हैं, लेकिन नींद तो उस महबूबा की तरह है जो अपने आशिक को पहले तो खूब ललचाती है औऱ फिर बाहों में समाती है। लोग सोने के लिए न जाने क्या क्या जतन करते हैं फिर भी नींद से महरूम रह जाते हैं। लेकिन अगर हम आपसे यह कहे है दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां पर आदमी चलते-चलते सो जाते हैं। मतलब उन्हें कभी भी कहीं भी नींद आ जाती है।इस गांव में लोग चलते-चलते बीच सड़क पर ही सो जाते हैं, कई दिनों तक नहीं उठते हैं

जी हां, कजाकिस्तान का एक छोटा सा गांव कलाची वो अनोखी जगह है। यहां पर कोई भी बंदा कभी भी सो जाता है। दरअसल यह एक शारीरिक समस्या है, जिससे पिछले कुछ सालों से यहां के लोग बहुत ही ज्यादा परेशान है। इसी समस्या के चलते ही ये लोग कहीं भी सो जाते हैं। मसलन छत पर, ऑफिस में, फुटपाथ पे, सड़क पे, बस में, रेलवे ट्रेक पे। इस समस्या के चलते यहां पर जब कोई एक बार सोता है तो फिर यह तय नहीं किया जा सकता कि वो दुबारा कब उठेगा।इस गांव में लोग चलते-चलते बीच सड़क पर ही सो जाते हैं, कई दिनों तक नहीं उठते हैं

अब हम आपको इस समस्या का कारण बताते हैं। शोधकर्ताओँ ने यहां पर साल भर शोध करके यह पता लगाया है कि यहां की हवा इसका मुख्य कारण है। वक्त-बेवक्त नींद आने की यह समस्या दरअसल कार्बन मोनो ऑक्साइड नामक जहरीली गैस की वजह से उत्पन्न हुई है। करीब 900 लोगों की आबादी वाले इस गांव में अब तक 200 लोग इस गंभीर बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं। साथ ही कई मामलों में तो नींद में ही लोगों की मौत हो जाती है। परीक्षण से यह पता चला है कि यहां की हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन का स्तर बहुत ही ज्यादा है।

इस कारण यहां के लोगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। तभी तो लोग हर कहीं सो जाते है। अनुसंधानर्ताओं ने पता लगाया कि इस जगह के आसपास बरसों पुरानी यूरेनियम की बंद पड़ी खदाने स्थित हैं। उन्हीं से यहां की हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड काफी ज्यादा मात्रा में घुल रही है।

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