8.8 तीव्रता का भूकंप: क्यों कहा जा रहा है इसे हिरोशिमा जैसे 14,300 परमाणु बमों के बराबर?
हाल ही में 8.8 तीव्रता का भूकंप आने की खबर ने दुनिया भर में चिंता पैदा कर दी है। कहा जा रहा है कि यह भूकंप उतनी ही ऊर्जा छोड़ता है, जितनी कि हिरोशिमा पर गिराए गए लगभग 14,300 परमाणु बमों के एक साथ फटने से निकलती। यह तुलना सुनने में बेहद खतरनाक लगती है—but क्या यह वैज्ञानिक रूप से सटीक है? और इससे रूस, जापान और भारत जैसे देशों को क्या खतरा हो सकता है? आइए इस भूकंप की ताकत, इसके वैज्ञानिक आधार, और वैश्विक प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
कितनी ताकतवर होती है 8.8 तीव्रता की भूकंपीय घटना?
भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल या मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल (Mw) पर मापा जाता है। यह एक लॉगरिदमिक स्केल होती है, जिसका अर्थ है कि हर एक यूनिट की वृद्धि से भूकंप की ऊर्जा लगभग 31.6 गुना बढ़ जाती है।
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उदाहरण के लिए, 7.8 तीव्रता का भूकंप जितनी ऊर्जा छोड़ता है, उससे 8.8 तीव्रता का भूकंप 31.6 गुना ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
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6.8 से तुलना करें तो यह लगभग 1,000 गुना ज्यादा घातक हो सकता है।
इस तीव्रता का भूकंप "ग्रेट अर्थक्वेक" की श्रेणी में आता है, जो पूरे शहरों को तबाह करने की क्षमता रखता है। वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, 8.8 तीव्रता का भूकंप लगभग 9 x 10^17 जूल्स ऊर्जा छोड़ता है।
परमाणु बम से तुलना कितनी सही है?
हिरोशिमा पर गिराया गया 'लिटिल बॉय' परमाणु बम लगभग 15 किलोटन TNT (6.3 x 10^13 जूल्स) ऊर्जा उत्पन्न करता था।
अब यदि 8.8 तीव्रता के भूकंप की कुल ऊर्जा (9 x 10^17 जूल्स) को इस बम से तुलना करें:
(9 x 10^17) ÷ (6.3 x 10^13) = 14,300
यानी, यह भूकंप लगभग 14,300 हिरोशिमा बमों के बराबर ऊर्जा रिलीज करता है। यही वजह है कि इसे इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा माना जाता है। ध्यान दें: कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या 9,000 भी बताई जाती है, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि वैज्ञानिक कौन सी विधि और अनुमान मानते हैं—भूकंप की गहराई, सतह की प्रकृति, और ऊर्जा का फैलाव।
रूस और जापान में क्यों फैला डर?
8.8 तीव्रता का यह भूकंप कामचटका प्रायद्वीप (रूस) में आया, जो जापान के बेहद करीब स्थित है। यह क्षेत्र Pacific Ring of Fire में आता है, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार टकराती हैं और भूकंप आम हैं।
जापान का भूकंपीय इतिहास
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2011 में आया तोहोकु भूकंप (9.0 तीव्रता) जापान के इतिहास का सबसे घातक भूकंप था।
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इसने सुनामी पैदा की, जिससे फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में रेडियोएक्टिव लीक हुआ।
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जान-माल का नुकसान: 28,000 से अधिक लोग मारे गए, और 360 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
रूस की संवेदनशीलता
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कामचटका क्षेत्र में ज्वालामुखी और टेक्टोनिक गतिविधियां अधिक होती हैं।
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जनसंख्या कम है, लेकिन भूकंप से उत्पन्न सुनामी जापान, कोरिया और अमेरिकी तटीय क्षेत्रों तक पहुंच सकती है।
भारत जैसे देशों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
भारत सीधे तौर पर इस भूकंप से प्रभावित नहीं हो सकता, क्योंकि यह क्षेत्र इससे हजारों किलोमीटर दूर है। लेकिन इसके दो महत्वपूर्ण प्रभाव भारत पर हो सकते हैं:
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सुनामी का अप्रत्यक्ष खतरा: यदि यह भूकंप हिंद महासागर के किसी भाग में होता, तो भारत के दक्षिणी तटीय राज्य (जैसे तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश) पर भारी खतरा मंडरा सकता था। 2004 की सुनामी (9.1 तीव्रता) इसका उदाहरण है जिसमें भारत में हजारों लोगों की मौत हुई थी।
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भविष्य की तैयारियों का अलार्म: इस तरह के बड़े भूकंप पूरी दुनिया के लिए चेतावनी हैं। भारत को अपने भूकंप पूर्व चेतावनी तंत्र, तटीय अलार्म सिस्टम और आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की ज़रूरत है।

