डुप्लिकेट वोट की जांच से क्यों घबरा रहा विपक्ष ? वायरल क्लिप में देखे चिराग पासवान का सीधा हमला, बोले 'शिकायत भी तुम्हारी डर भी तुम्हारा...'
बिहार की राजनीति में एक बार फिर गरमाहट तेज़ हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने विपक्षी दलों पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि अगर सब कुछ साफ़-सुथरा है तो फिर डुप्लीकेट वोटों की जाँच से क्यों डर रहे हैं? उनके इस तीखे बयान ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।
डुप्लिकेट वोट की जांच सेडुप्लिकेट वोट की जांच सेचुनाव आयोग द्वारा प्रस्तावित मतदाता सूची जाँच और आधार लिंकिंग प्रक्रिया पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच, चिराग पासवान ने दो टूक कहा, "अगर विपक्ष को खुद पर भरोसा है और उन्हें लगता है कि उन्हें वोट बैंक का ईमानदार समर्थन मिला है, तो उन्हें डुप्लीकेट वोटों की जाँच से क्यों डरना चाहिए?"चिराग ने यह बात पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही, जहाँ उन्होंने दावा किया कि कई विपक्षी दलों को पता है कि उनके कई फर्जी वोट उनके पक्ष में डाले गए हैं, इसलिए वे इस पारदर्शिता से जुड़ी जाँच प्रक्रिया से डरते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया को मज़बूत बनाना हर लोकतांत्रिक देश की ज़िम्मेदारी है और डुप्लीकेट वोटों को हटाने का प्रयास इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।उन्होंने कहा, "हर एक वोट की गिनती होनी चाहिए, लेकिन वह वोट असली होना चाहिए। फर्जी पहचान पत्र और दोहरे मतदान लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाते हैं।"
चिराग पासवान ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के पूरी तरह पक्ष में है और मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाने वाले किसी भी प्रयास का समर्थन करेगी। उन्होंने इसे "लोकतंत्र सफाई अभियान" बताया और कहा, "अगर विपक्ष को इससे परेशानी हो रही है, तो ज़रूर कुछ गड़बड़ है।"
वहीं, विपक्षी दलों, खासकर राजद और कांग्रेस ने पलटवार करते हुए चिराग के बयान को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन इस तरह की जाँच के नाम पर मतदाता सर्वेक्षण और डेटा निष्कर्षण की आड़ में मतदाताओं की निजता का हनन कर रहे हैं।
राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, "हम मतदाता सूची की सफाई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। चिराग पासवान को समझना चाहिए कि लोकतंत्र केवल तकनीकी सटीकता से नहीं, बल्कि विश्वास और संवैधानिकता से चलता है।" बहरहाल, चिराग के बयान से साफ है कि 2025 के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक रणनीति तेज हो गई है और मतदान प्रणाली की निष्पक्षता अब राजनीतिक बहस का नया केंद्र बन गई है।

