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तेजस्वी यादव बार-बार क्यों दे रहे हैं चुनाव बहिष्कार की धमकी? 1 तारीख को सामने आएगा असली सियासी खेल

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 बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर पैदा हुए विवाद के बीच, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी पार्टी के पास चुनाव का बहिष्कार करने का विकल्प खुला है. वहीं, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इसे विपक्ष की हार की स्वीकारोक्ति बताया है.

तेजस्वी यादव के आरोप: धोखाधड़ी और फर्जी FIR
राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन पत्रकारों से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने SIR को “धोखाधड़ी से कम नहीं” बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि बूथ-स्तरीय अधिकारी मतदाताओं की ओर से गणना प्रपत्रों पर हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लगा रहे हैं और खाली प्रपत्रों का इस्तेमाल रद्दी कागज की तरह किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इन विसंगतियों को उजागर करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों पर FIR दर्ज की जा रही हैं, और सरकार को यह सब ठीक लग रहा है क्योंकि “चुनाव आयोग सत्ताधारी दल के एक राजनीतिक औजार की तरह काम कर रहा है.

चुनाव आयोग की कवायद और विपक्षी दलों की चिंताएं
निर्वाचन आयोग के अनुसार, बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण में अब तक 52 लाख से ज़्यादा मतदाता अपने पते पर मौजूद नहीं पाए गए हैं और 18 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, विपक्षी दलों का दावा है कि इस कवायद से करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे. RJD ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का भी रुख किया है.

तेजस्वी यादव ने दुख व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर “एक शब्द भी नहीं कहा”, जबकि संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने “केवल वार्षिक मतदाता पुनरीक्षण को वर्तमान में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण से जोड़ने की कोशिश की. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के इस दावे पर कि NDA शासन में बिहार में विस्थापन कम हुआ है और केवल “राज्य की कुल आबादी का दो-तीन प्रतिशत” ही देश के अन्य हिस्सों में जीवन यापन कर रहा है, यादव ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संसद में दिए गए बयान का ‘प्रिंटआउट’ भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बिहारी प्रवासियों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है.”

NDA का पलटवार: हार का डर और बहानेबाजी
NDA नेताओं ने तेजस्वी यादव की टिप्पणी को हार का डर बताया है. केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ ने कहा, “उन्हें लग रहा है कि वे चुनाव हार जाएंगे. उनका फर्जीवाड़ा उजागर हो गया है और इसलिए वे कह रहे हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे.” भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने भी कहा कि तेजस्वी यादव ने या तो बिहार में अपनी हार स्वीकार कर ली है या फिर वह “कुछ ऐसी राजनीति कर रहे हैं, जिसे मैं समझ नहीं पा रहा हूं. केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल ने विपक्ष पर “घुसपैठियों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने” का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव आयोग केवल यह साबित करने के लिए दस्तावेज मांग रहा है कि आप भारत के नागरिक हैं.

विपक्षी गठबंधन का समर्थन और चुनाव आयोग पर सवाल
कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल और झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माजी ने तेजस्वी यादव का समर्थन किया है. वेणुगोपाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग का यह तरीका संदेह पैदा करता है, जबकि महुआ माजी ने सवाल उठाया कि निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया में जल्दबाजी क्यों कर रहा है. उन्होंने पत्रकार के खिलाफ FIR दर्ज होने और बिहार के कई लोगों के बाहर रहने का भी जिक्र किया, जिन्हें सूचित नहीं किया गया है. तेजस्वी यादव ने अंत में कहा कि “असली खेल” 1 अगस्त से शुरू होगा, जब चुनाव आयोग मसौदा मतदाता सूची तैयार करना शुरू करेगा और मतदाताओं को अपने दावे या आपत्तियां दर्ज कराने की अनुमति दी जाएगी.

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