बिहार में किस जाति-वर्ग का किस पर भरोसा? तेजस्वी यादव बना रहे नई सोशल इंजीनियरिंग, लीक्ड फुटेज में जानिए चुनावी समीकरण का पूरा गणित
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की राजनीतिक तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। सभी राजनीतिक दल समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ लाने की तैयारी में जुटे हैं। बिहार की राजनीति की खास बात यह है कि बिहार से जातिवाद खत्म नहीं होता और चुनाव से पहले नेता इसे और मज़बूत करने में लगे हैं। चुनाव से पहले बिहार पूरी तरह से जातियों और उपजातियों में बँट गया है और हर जाति ने अपनी-अपनी पार्टी चुन ली है। राजनीतिक दल जातीय सभाओं के ज़रिए लोगों को लुभाने की कोशिश भी कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि राज्य में कौन सी जातियाँ किसका समर्थन करती दिख रही हैं।
तेजस्वी के पास कितने प्रतिशत वोट हैं?
तेजस्वी यादव के पास M+Y है। मुस्लिम- 17.4 प्रतिशत और यादव- 14.3 प्रतिशत। तेजस्वी यादव को 31.5 प्रतिशत के इस वोट बैंक में 9 प्रतिशत और वोट जोड़ने होंगे। ऐसा करके तेजस्वी 40% से ऊपर पहुँच जाएँगे।
एनडीए के पास कितनी ताकत है?
मोदी, नीतीश और गठबंधन के पास पहले से ही लगभग 42% वोट हैं। सवर्ण 10.5% हैं जो एनडीए के पक्के मतदाता हैं, ठीक उसी तरह जैसे मुस्लिम मतदाता महागठबंधन के पक्के मतदाता हैं।
इसमे शामिल है-:
ब्राह्मण - 3.65%
राजपूत - 3.45%
भूमिहार - 2.86%
और कायस्थ - 0.60%।
सवर्ण जातियों के साथ-साथ बिहार की शीर्ष दस जातियों में से सबसे बड़ी जातियाँ एनडीए के खेमे में हैं, जिनमें शामिल हैं-
दुसाध यानी पासवान - 5.31%
मोची, जाटव और रविदास मिलाकर - 5.25%
कुशवाहा यानी कोइरी - 4.21%
मुसहर - 3.08%
कुर्मी - 2.88%
वैश्य या बनिया - 2.32%
कानू - 2.21%
नोनिया - 1.91%
कहार - 1.65%
नाई - 1.59%
बढ़ई - 1.45%
इन सभी जातियों को जोड़ दें, तो 42.42% का विजयी समीकरण बनता है, जो बिहार में एनडीए के साथ है।
तेजस्वी किस योजना पर काम कर रहे हैं?
अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो उन्हें दो काम करने होंगे। पहला, उन्हें M+Y में नई जातियों को जोड़ना चाहिए और दूसरा, एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगानी चाहिए। तेजस्वी ये दोनों ही काम कर रहे हैं। जैसे अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा में आधा से एक प्रतिशत जातियों को जोड़ा था, वैसे ही तेजस्वी यादव जातियों का गुलदस्ता बना रहे हैं। तेजस्वी यादव अब चौरसिया समाज को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी यादव पटना में चौरसिया सम्मेलन को संबोधित कर चुके हैं।
बिहार में चौरसिया समाज की ताकत?
बिहार में जब जातियों की गिनती हुई, तो चौरसिया की भी गिनती हुई। इनकी गिनती 6 लाख 16 हज़ार निकली। बिहार की आबादी में इनकी हिस्सेदारी 0.47% निकली। बिहार के कांटे के मुकाबले में आधा प्रतिशत वोट भी बहुत मायने रखते हैं। इस आधे प्रतिशत को भी लुभाने के लिए तेजस्वी यादव लालू को 90 की याद दिला रहे हैं। आपको बता दें कि चौरसिया वैश्य समाज की 52 उपजातियों में गिनी जाती हैं। पान का व्यवसाय करने वाले चौरसिया पिछले 25 सालों से बड़े पैमाने पर एनडीए के वोटर रहे हैं। तेजस्वी यादव उन्हें अपनी तरफ करने की कोशिश कर रहे हैं। वह जानबूझकर 90 के दशक के लालू का नाम ले रहे हैं, जिन्होंने उस दौर में पिछड़ों को आगे बढ़ाया था।
ऐसे ही और भी उदाहरण
इसी तरह, मल्लाह, केवट और कैवर्त, ये सभी मल्लाह जाति की उपजातियाँ हैं। इन जातियों पर नीतीश कुमार का प्रभाव रहा है, लेकिन मुकेश सहनी ने वीआईपी पार्टी बनाकर इन्हें एकजुट किया और अब मुकेश सहनी खुद तेजस्वी यादव के साथ घूम रहे हैं।
मल्लाह- 2.36%
केवट- 0.72%
कैवर्त- 0.20%
इन तीनों को जोड़ दें तो यह 3.28% हो जाता है। यही मुकेश सहनी की ताकत है जो वह महागठबंधन को दे सकते हैं। बिहार चुनाव में जातियों का समीकरण इतनी गहराई तक जाकर बनाया जा रहा है।

