CISF की तैनाती पर संसद में बवाल! खरगे बोले- 'क्या हम आतंकवादी हैं?' VIDEO में देखे JP Nadda का पलटवार
राज्यसभा में आज सदन में सीआईएसएफ जवानों की मौजूदगी के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, सभापति ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब खड़गे ने सीआईएसएफ जवानों की तैनाती के संबंध में उन्हें पत्र लिखा था, तो उसे मीडिया को क्यों जारी किया गया। सभापति ने इसे सदन के नियमों का उल्लंघन बताया। इस पर खड़गे ने कहा कि वह पत्र के बारे में सबको जानकारी नहीं दे सकते, इसलिए उन्होंने इस संबंध में मीडिया को एक बयान जारी किया। चर्चा के दौरान जेपी नड्डा ने विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाए और नसीहत देते हुए कहा कि विपक्ष को उनसे ट्यूशन लेने की ज़रूरत है।
आखिर सदन में CISF को क्यों बुलाया गया?
— Mallikarjun Kharge (@kharge) August 5, 2025
क्या हम राज्य सभा के सदस्य terrorist हैं? pic.twitter.com/kOpuEw8dDR
'वेल में विरोध प्रदर्शन सदन के नियमों के विरुद्ध'
दरअसल, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खड़गे के पत्र की जानकारी देते हुए कहा कि पत्र को मीडिया को जारी करके जनता को जानकारी देने के संसद के अधिकार का हनन किया गया है। इसके बाद उपसभापति ने कई घटनाओं का ज़िक्र किया, जब सत्ता पक्ष के लोग सदन में बोल रहे थे और विपक्षी सांसद उनकी सीटों के पास आकर उनके संबोधन में बाधा डालने की कोशिश कर रहे थे। सभापति ने कहा, 'क्या यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है?' उन्होंने कहा कि वेल में सदस्यों का प्रदर्शन गलत है और यह सदन की परंपरा के विरुद्ध है क्योंकि वेल की एक पवित्रता होती है।
खड़गे ने पूछा- क्या हम आतंकवादी हैं?
सभापति के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब सदन के नेता महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे हों, तो उस समय सदन में सीआईएसएफ जवानों की तैनाती गलत है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 'जब अरुण जेटली राज्यसभा में और सुषमा स्वराज लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं, तब उन्होंने कहा था कि व्यवधान भी लोकतंत्र को मजबूत करने का एक तरीका है। हम इसी तरह लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करते रहेंगे और यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।' खड़गे ने कहा कि ऐसे में अगर मैंने आपको पत्र लिखा और इसकी जानकारी मीडिया में दी गई, तो आपको इस पर इतनी आपत्ति क्यों है? मैं सभी सदस्यों को सूचित नहीं कर सकता, इसलिए प्रेस नोट जारी किया गया। मुझे बताइए कि वेल में सीआईएसएफ क्यों तैनात की गई? क्या हम आतंकवादी हैं?
जेपी नड्डा ने कहा- मुझसे ट्यूशन ले लो
खड़गे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि 'कार्यवाही में बाधा डालना अलोकतांत्रिक है और यह नियमों के विरुद्ध है। उपसभापति ने जिन घटनाओं का ज़िक्र किया कि कैसे अध्यक्ष को बोलते समय टोका गया, यह लोकतंत्र नहीं है, यह काम करने का तरीका नहीं है। मैं 40 साल से ज़्यादा विपक्ष में रहा हूँ, मुझसे ट्यूशन ले लो। आप सिर्फ़ 10 साल विपक्ष में रहे हैं, आपको 30-40 साल और विपक्ष में रहना है। अरुण जेटली के बयान का हवाला दिया गया कि बाधा डालना लोकतंत्र का एक हिस्सा है, लेकिन बाधा डालने के और भी तरीके हैं। अगर आप मुझसे ट्यूशन लेंगे, तो मैं आपको बता दूँगा।'
नड्डा ने ऊँची आवाज़ में कहा कि 'अगर आप लाठी चलाते हैं और आपकी लाठी मेरी नाक पर लगती है, तो यह ग़लत है। आपका लोकतंत्र वहीं ख़त्म होता है जहाँ मेरी नाक शुरू होती है।' जब विपक्षी सांसद अपनी जगह छोड़कर अध्यक्ष के बगल में खड़े होकर नारे लगाते हैं, तो यह विरोध नहीं, बल्कि अराजकता है और वे अराजकता फैलाने की कोशिश करते हैं।' नड्डा ने कहा कि 'सदन में अध्यक्ष के आदेश पर सदन चलाने में मदद करने वाला कोई भी व्यक्ति मार्शल होता है, किसी अर्धसैनिक बल का सदस्य नहीं।'
क्या है पूरा विवाद
हाल ही में, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को पत्र लिखकर कहा कि जब सदन के सदस्य महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे थे, तब सदन के वेल में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती आश्चर्यजनक है। खड़गे ने कहा कि क्या हमारी संसद इस स्तर पर पहुँच गई है? यह बेहद निंदनीय है। खड़गे ने यह पत्र उस समय लिखा जब कुछ विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर सदन में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जब उन्होंने वेल में जाने की कोशिश की, तो सीआईएसएफ कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। खड़गे ने कहा कि मार्शल सदन के गेट पर तैनात होते हैं और अध्यक्ष के आदेश पर ही अंदर आते हैं, लेकिन इस सत्र में सीआईएसएफ कर्मियों को मार्शल की ड्यूटी पर लगाया गया है। सारा विवाद इसी पर हो रहा है।

