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बिहार से शुरू हुआ 'SIR मॉडल' अब यूपी और बंगाल की राजनीति में भी मचाएगा भूचाल,  वायरल क्लिप में देखे Akhilesh Yadav का बड़ा दावा

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को एक बड़ा राजनीतिक संकेत देते हुए 'SIR' मॉडल को लेकर नया दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह मॉडल अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक भी पहुंचेगा। उनका यह बयान 2024 लोकसभा चुनाव के बाद की विपक्षी राजनीति को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।

क्या है ‘SIR’ मॉडल?
'SIR' का पूरा नाम अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे 'Samajwadi-Inclusive-Regional' गठबंधन मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, बिहार में राजद, जदयू और कांग्रेस के गठबंधन के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के सीमित लेकिन प्रभावशाली सहयोग को 'SIR' की नींव माना जा रहा है। अब जब लोकसभा चुनावों के बाद देशभर में विपक्षी एकजुटता की मांग तेज हो रही है, ऐसे में अखिलेश यादव का यह बयान विपक्ष के अगले बड़े फॉर्मूले की ओर इशारा करता है।

अखिलेश यादव ने क्या कहा?
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा, “बिहार में जो प्रयोग शुरू हुआ है, उसका प्रभाव अब यूपी और बंगाल में भी दिखाई देगा। 'SIR' एक विचार है — समावेशी, सामाजिक न्याय आधारित और क्षेत्रीय ताकतों को साथ लेकर चलने वाला मॉडल। जनता अब बदलाव चाहती है, और यह बदलाव क्षेत्रीय दल ही ला सकते हैं।”

यूपी-बंगाल में नए गठजोड़ की तैयारी?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अखिलेश यादव के इस बयान से संकेत मिलता है कि समाजवादी पार्टी अब उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ने की बजाय बंगाल की तृणमूल कांग्रेस और बिहार के क्षेत्रीय दलों के साथ व्यापक गठबंधन की ओर बढ़ सकती है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के बीच हाल के महीनों में बढ़ती बातचीत को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

BJP के खिलाफ साझा मोर्चा
‘SIR’ मॉडल को बीजेपी के खिलाफ एक संभावित साझा मोर्चे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इसमें क्षेत्रीय पहचान, सामाजिक न्याय और संविधानिक मूल्यों की रक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। अखिलेश यादव का मानना है कि बड़े राज्यों की जनता अब विकल्प खोज रही है, और उन्हें एक ऐसा फ्रंट चाहिए जो न तो कांग्रेस की तरह केंद्रीय हो और न ही पूरी तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण पर टिका हो।

आगे क्या?
अगर 'SIR' मॉडल वाकई तीन बड़े राज्यों — बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल — में एक मजबूत राजनीतिक विचार बनता है, तो यह 2029 के आम चुनावों के लिए विपक्षी राजनीति की रूपरेखा तय कर सकता है। फिलहाल अखिलेश यादव के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है।


 

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