"EC को BJP-NDA के लोग चला रहे...' क्या निष्पक्ष नहीं रहा चुनाव आयोग? SIR रिपोर्ट पर प्रशांत किशोर ने उठाए सवाल, देखे वीडियो
देश में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। इस बार मुद्दा है एक रिपोर्ट और उस पर एक बड़ा बयान। राय निर्माता और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में SIR (सोशल इम्पैक्ट रिपोर्ट) को लेकर खुलासा किया है जो भारतीय लोकतंत्र और चुनाव आयोग (EC) की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है। प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि अब चुनाव आयोग को भाजपा-एनडीए के लोग चला रहे हैं और पूरी व्यवस्था एकतरफा होती जा रही है। प्रशांत किशोर ने अपने बयान में साफ़ कहा, "अगर हम SIR जैसी रिपोर्टों को देखें और उसके पैटर्न को समझें, तो साफ़ है कि अब चुनाव आयोग पूरी तरह से सरकारी दबाव में है। यह अब एक स्वतंत्र संस्था नहीं रही, जैसा इसे कभी माना जाता था।"
क्या है SIR रिपोर्ट?
SIR यानी "सोशल इम्पैक्ट रिपोर्ट" एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट है जो चुनावी माहौल, प्रशासनिक हस्तक्षेप और राजनीतिक प्रभाव का आकलन करती है। हाल की रिपोर्टों ने संकेत दिया है कि कई संवैधानिक संस्थाएँ, खासकर चुनाव आयोग, अब अपने स्वतंत्र चरित्र से भटक रही हैं और एक खास राजनीतिक धारा के अनुसार काम कर रही हैं।
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
प्रशांत किशोर के बयान का मुख्य बिंदु यह था कि भारतीय चुनाव आयोग अब पहले जैसा स्वायत्त और निष्पक्ष नहीं रहा। उन्होंने दावा किया कि आयोग के प्रमुख पदों पर ऐसे लोग आसीन हैं जिनकी प्राथमिक निष्ठा लोकतंत्र या संविधान के प्रति नहीं, बल्कि केंद्र सरकार और खासकर भाजपा-एनडीए के प्रति है।
उन्होंने कहा, "आज चुनाव आयोग इस तरह से चलाया जा रहा है कि जो भी सत्ताधारी दल के खिलाफ जाता है, उस पर तुरंत आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है, प्रतिबंध लगाया जाता है या अन्य कार्रवाई की जाती है। लेकिन यही नियम सत्ताधारी दल के नेताओं पर लागू नहीं होते।"
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज़
प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद विपक्षी दलों को भी एक नया मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और स्वतंत्र जाँच की माँग की है। वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा है कि "प्रशांत किशोर विपक्षी दलों के रणनीतिकार रहे हैं, इसलिए उनका बयान पक्षपातपूर्ण है।"
जनता में चिंता और सोशल मीडिया पर हंगामा
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #ElectionCommission और #PrashantKishor हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने चुनाव आयोग की भूमिका पर मीम्स बनाए हैं, जबकि कुछ ने किशोर के बयान को "साहसिक और ज़रूरी" बताया है।

