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‘कहीं छोटा, कहीं बड़ा...’ संसद के मानसून सत्र में गूंजा समोसे का मुद्दा, नेता और अभिनेता Ravi Kishan ने की ये मांग 

‘कहीं छोटा, कहीं बड़ा...’ संसद के मानसून सत्र में गूंजा समोसे का मुद्दा, नेता और अभिनेता Ravi Kishan ने की ये मांग 

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन ने गुरुवार को शून्यकाल के दौरान खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, मात्रा और कीमत का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर कानून बनाने की मांग की। उन्होंने समोसे का उदाहरण देते हुए कहा कि कहीं समोसा छोटा होता है तो कहीं बड़ा। कहीं सस्ता तो कहीं महंगा। रवि किशन ने इसे जनहित से जुड़ा एक अहम मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में लाखों होटल और ढाबे हैं, जहाँ करोड़ों लोग रोज़ खाना खाते हैं, लेकिन इन जगहों पर खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, मात्रा और कीमतों का कोई मानकीकरण नहीं है।

रवि किशन ने लोकसभा में उठाया मुद्दा
भाजपा सांसद ने कहा- "कहीं चांदनी चौक में समोसा सस्ता मिलता है, तो कहीं गोरखपुर में अलग रेट पर...हर जगह अलग रेट है। पाँच सितारा होटलों में इसका रेट ज़्यादा है। किसी ढाबे या होटल में किस चीज़ की कितनी मात्रा होगी, इसका कोई मानकीकरण नहीं है। कहीं कटोरा भर समोसा देते हैं, कहीं बड़ा समोसा, कहीं छोटा। हमें आज तक ये बात समझ नहीं आई, इतना बड़ा बाज़ार जहाँ करोड़ों ग्राहक हैं, वहाँ ये सब बिना किसी नियम-कानून के चल रहा है।"

खाद्य पदार्थों की कीमतों पर कानून की माँग
उन्होंने आगे कहा- प्रधानमंत्री ने कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, लेकिन अभी तक ये क्षेत्र अछूता है। इसलिए मैं आपके माध्यम से सरकार से माँग करता हूँ कि छोटे ढाबों से लेकर सामान्य होटलों और अच्छे रेस्टोरेंट...पाँच सितारा होटलों आदि सभी जगहों पर मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित करने के लिए एक कानून बनाया जाए ताकि देशवासियों को उचित मूल्य पर सही मात्रा में गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ मिल सकें। किसी ढाबे पर तड़का दाल 100 रुपये में मिलती है, तो किसी ढाबे पर 120 रुपये में। किसी ढाबे पर 250 रुपये में मिलती है, तो किसी ढाबे पर 400 रुपये में। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार पारदर्शिता और उपभोक्ताओं के हित में स्पष्ट कानून बनाए।

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