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नेशनल हेराल्ड केस में आया सनसनीखेज मोड़! क्या टिकट के बदले चंदा ले रही थी कांग्रेस ? ED की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नेशनल हेराल्ड केस में आया सनसनीखेज मोड़! क्या टिकट के बदले चंदा ले रही थी कांग्रेस ? ED की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताज़ा रिपोर्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए चैरिटी के नाम पर अरबों रुपये की संपत्ति हड़पी गई, जिसका सीधा नियंत्रण सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि क्या कांग्रेस ने वाकई चंदा देने वालों को चुनावी टिकट दिए? ईडी की रिपोर्ट में इसे संभावित राजनीतिक फ़ायदे के बदले दिया गया चंदा बताया गया है।

शनिवार को दिल्ली की अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज़ों में ईडी ने साफ़ तौर पर कहा कि यंग इंडियन को एक "गैर-लाभकारी" कंपनी के रूप में दिखाया गया था। लेकिन इसका असली काम एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति हड़पना था। ईडी ने दावा किया कि ज़मीनी स्तर पर कोई चैरिटी का काम नहीं किया गया और कांग्रेस में चंदा देने वालों को टिकट देना एक 'व्यवस्थित पैटर्न' लगता है।

₹0 निवेश, ₹2,000 करोड़ की संपत्ति!
ईडी ने बताया है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के सभी शेयर महज 50 लाख रुपये में यंग इंडियन कंपनी को हस्तांतरित कर दिए गए। हैरानी की बात यह है कि यह 50 लाख रुपये भी यंग इंडियन ने खुद नहीं दिए, बल्कि यह रकम कोलकाता की एक कंपनी डॉटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड ने दी थी। कंपनी ने इसे कर्ज के तौर पर दिया था। बदले में, यंग इंडियन को एजेएल की सभी संपत्तियों का पूरा नियंत्रण मिल गया, जिसमें दिल्ली, मुंबई, भोपाल और पटना जैसे शहरों के प्रमुख स्थानों पर स्थित इमारतें शामिल हैं।

यंग इंडियन केवल नाम का संगठन है, असली मकसद संपत्ति पर कब्जा करना था
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में अदालत को बताया कि यंग इंडियन की स्थापना दान के नाम पर की गई थी, लेकिन कभी कोई धर्मार्थ कार्य नहीं किया गया। अदालत में एएसजी राजू ने कहा कि यंग इंडियन ने बिना एक भी रुपया लगाए एजेएल की लगभग ₹2000 करोड़ की संपत्ति अपने कब्जे में ले ली। ईडी के मुताबिक, यह पूरी योजना एजेएल की संपत्ति हड़पने की एक साजिश थी और इसी के तहत यंग इंडियन का गठन किया गया था। ईडी ने यह भी दावा किया कि एजेएल को ₹50 लाख में खरीदा गया था, जो 'डोटेक्स' नामक कंपनी से प्राप्त हुए थे। यानी, यंग इंडियन ने न तो अपना पैसा लगाया और न ही कोई धर्मार्थ कार्य शुरू किया। इसके विपरीत, एजेंसी ने आरोप लगाया कि यंग इंडियन के ज़रिए राजनीतिक लाभ बाँटे गए और संस्था को दान देने वालों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिए गए, यानी यह पूरा मॉडल सिर्फ़ दान का दिखावा था और असल में राजनीतिक लाभ का एक ज़रिया था।

सोनिया और राहुल का सीधा संबंध
ईडी ने इस सौदे को "प्रत्यक्ष राजनीतिक नेतृत्व द्वारा नियंत्रित धोखाधड़ी" बताया है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस यंग इंडियन के निदेशक रहे हैं। राहुल और सोनिया के ख़िलाफ़ पूछताछ हो चुकी है और मामले में नियमित सुनवाई चल रही है।

कांग्रेस ने ईडी के दावे को ख़ारिज किया
नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गंभीर आरोपों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "इस पूरे लेन-देन में एक पैसा भी कहीं ट्रांसफर नहीं हुआ है," और ईडी द्वारा लगाए गए आरोप "कांग्रेस के लिए कोई मायने नहीं रखते" क्योंकि मामला पूरी तरह से कानूनी और पारदर्शी है। सिंघवी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए कहा कि यह कांग्रेस नेताओं को निशाना बनाने की एक और कोशिश है।

क्या मामला आगे बढ़ेगा?
अब जबकि ईडी ने अदालत में यह सनसनीखेज आरोप दायर कर दिया है, मामले की दिशा निर्णायक मोड़ पर है। क्या कांग्रेस के बड़े नामों पर कार्रवाई होगी? या यह एक बार फिर 'राजनीति बनाम जाँच एजेंसी' की बहस में उलझ जाएगा। इसका जवाब आने वाले हफ़्तों में अदालत से मिल सकता है।

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