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PM Modi Bihar Visit: नीतीश-मोदी की जोड़ी फिर चर्चा में मंच पर दिखी गजब की ट्यूनिंग, विरल क्लिप देख विपक्ष में मचा हड़कंप

PM Modi Bihar Visit: नीतीश-मोदी की जोड़ी फिर चर्चा में मंच पर दिखी गजब की ट्यूनिंग, विरल क्लिप देख विपक्ष में मचा हड़कंप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बिहार दौरे ने न सिर्फ़ विकास परियोजनाओं को नई गति दी, बल्कि राजनीतिक गलियारों में एक नई चर्चा को भी जन्म दिया। ख़ासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी 'अनोखी केमिस्ट्री' ने जनता और नेताओं का ध्यान खींचा। यह मुलाक़ात सिर्फ़ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इसमें आगामी चुनावों की रणनीति, एनडीए की एकजुटता और विपक्ष को एक राजनीतिक संदेश का भी साफ़ संकेत था।

बिहार के कई ज़िलों में पीएम मोदी ने 20,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इनमें सड़क, रेलवे, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाएँ शामिल थीं। मंच पर पीएम मोदी और नीतीश कुमार की बॉडी लैंग्वेज, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और साथ मिलकर जनता को संबोधित करने का तरीक़ा इस बात की पुष्टि कर रहा था कि अब दोनों नेताओं के बीच पहले जैसी कड़वाहट नहीं रही।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने पिछले साल बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन 2024 के आम चुनाव से पहले वह एक बार फिर एनडीए में लौट आए। इसके बाद से बीजेपी और जेडीयू के समीकरणों को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी के इस दौरे ने साफ़ संकेत दिया कि अब दोनों दल मिलकर बिहार की राजनीति को नई दिशा देने के लिए तैयार हैं।

अपने भाषण में पीएम मोदी ने नीतीश कुमार की तारीफ़ करते हुए कहा कि "बिहार की विकास यात्रा में नीतीश जी की भूमिका अहम रही है।" साथ ही, नीतीश कुमार ने भी मोदी सरकार की योजनाओं की तारीफ़ की और जताया कि केंद्र और राज्य मिलकर काम कर रहे हैं। इस आपसी सहयोग ने विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी और कांग्रेस को चिंतित कर दिया है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह 'केमिस्ट्री' सिर्फ़ मंच तक सीमित नहीं है, बल्कि गठबंधन की मज़बूती का भी प्रतीक है। जहाँ बीजेपी को बिहार में नीतीश कुमार जैसे अनुभवी और क्षेत्रीय नेता की ज़रूरत है, वहीं जेडीयू को केंद्र में प्रभावशाली समर्थन की ज़रूरत है। ऐसे में यह साझेदारी अगले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

कुल मिलाकर, पीएम मोदी का यह दौरा विकास परियोजनाओं के उद्घाटन से कहीं बड़ा संदेश लेकर आया। यह न सिर्फ़ एनडीए की एकजुटता का प्रदर्शन था, बल्कि बिहार की जनता को यह भरोसा दिलाने की कोशिश भी थी कि दोनों नेता मिलकर राज्य को आगे बढ़ाने के लिए गंभीर हैं। अब यह देखना बाकी है कि यह अनोखी राजनीतिक केमिस्ट्री चुनाव परिणामों में किस प्रकार परिवर्तित होती है।

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