धक्का कांड’ के बाद भड़के पप्पू यादव! वीडियो में जाने क्या है तेजस्वी को घेरने का मास्टर प्लान, आ सकता है नया सियासी तूफ़ान
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने 14 जुलाई को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की अहम बैठक से पहले तेजस्वी यादव और राजद को परोक्ष रूप से बड़ा झटका दिया है। पप्पू ने कहा कि बिहार में महागठबंधन को राहुल गांधी के नेतृत्व में बिना चेहरे के चुनाव लड़ना चाहिए और मुख्यमंत्री पर फैसला चुनाव के बाद होना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस को अधिक सम्मान देने की वकालत की और कहा कि इससे गठबंधन की जीत सुनिश्चित होगी। अब सवाल उठ रहा है कि क्या 9 जुलाई को बिहार बंद के दौरान पप्पू के साथ हुई "धक्का-मुक्की की घटना" ने उन्हें यह बयान देने पर मजबूर किया? इसका महागठबंधन की एकता पर क्या असर होगा? बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस की बैठक से पहले पप्पू यादव ने कहा, आम आदमी का झुकाव कांग्रेस की ओर है। अगर राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा है, तो किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहिए? कौन मुख्यमंत्री बनेगा, चुनाव के बाद हमारे नेता तय करेंगे। पप्पू यादव ने सीटों के बंटवारे का जिम्मा बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर छोड़ दिया और कहा, "महागठबंधन तभी जीतेगा जब हम कांग्रेस के साथ मिलकर चलेंगे। मेरी भूमिका गिलहरी जैसी होगी और मुझे जो भी ज़िम्मेदारी मिलेगी, मैं उसे पूरी शिद्दत से निभाऊँगा।" यह बयान 9 जुलाई को पटना में बिहार बंद के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को रथ पर चढ़ने से रोके जाने के बाद आया है, जब पप्पू और कन्हैया कुमार को मंच पर जगह नहीं मिली थी। इस घटना ने राजद और कांग्रेस के बीच तनाव को उजागर कर दिया था।
पप्पू यादव का तेजस्वी यादव पर अप्रत्यक्ष प्रहार
अब, 12 जुलाई को महागठबंधन की बैठक में सीटों के बंटवारे पर फैसला न होने के बाद, बिहार चुनाव को लेकर 14 जुलाई को कांग्रेस की दिल्ली बैठक से पहले पप्पू यादव का यह बयान तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के दावे को कमज़ोर करता है। दरअसल, 12 जुलाई को पटना में हुई 360 मिनट की महागठबंधन बैठक में यह बात दोहराई गई थी कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन का चेहरा होंगे। आपको बता दें कि पप्पू यादव ने पहले भी राजद पर कांग्रेस को कमज़ोर करने का आरोप लगाया था। पप्पू यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में, खासकर पूर्णिया सीट पर राजद की बीमा भारती को मैदान में उतारने के लिए राजद को ज़िम्मेदार ठहराया था। अब उनकी मांग है कि कांग्रेस को 90-100 सीटें मिलनी चाहिए, क्योंकि उनका स्ट्राइक रेट राजद से बेहतर रहा है।
पप्पू यादव के इस बयान से महागठबंधन में दरार पड़ने की संभावना बढ़ गई है। राहुल गांधी के नेतृत्व की वकालत और तेजस्वी यादव पर परोक्ष रूप से तंज कसना राजद के 'MY' (मुस्लिम-यादव) समीकरण को चुनौती देता है। जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव का यह रुख राजद के लिए ख़तरा बन सकता है क्योंकि कोसी-सीमांचल में पप्पू यादव का प्रभाव कांग्रेस के लिए ख़तरा बन सकता है। वहीं, पप्पू यादव की मौजूदगी कांग्रेस के लिए दलित, पिछड़ी और अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का एक मौका है, लेकिन राजद के साथ तालमेल की कमी गठबंधन की एकता को कमज़ोर कर सकती है।
महागठबंधन की राजनीति पर इसका क्या असर होगा?
पप्पू यादव की नाराज़गी और कांग्रेस की बढ़ती माँगें सीट बंटवारे को पेचीदा बना रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, राजद कांग्रेस को 45 से ज़्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है, जबकि कांग्रेस 70 सीटों की माँग कर रही है। अगर पप्पू यादव और कन्हैया जैसे नेताओं को दरकिनार किया गया, तो गठबंधन का जनाधार, खासकर शहरी और युवा मतदाता, प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही, पप्पू यादव का बयान उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता है, जो महागठबंधन की एकता के लिए एक चुनौती है।

