नीतीश कुमार के रडार पर NDA के 'स्पेशल-5', नए गेम प्लान से बदल सकते हैं बिहार का सियासी समीकरण
एनडीए में सीटों का बंटवारा भले ही अभी पूरी तरह से तय नहीं हुआ है, लेकिन जेडीयू के रणनीतिकारों की नज़र राज्य की कुछ खास विधानसभा सीटों पर है। इनमें कुछ सीटें ऐसी भी हैं जिन्हें गठबंधन के सहयोगी हार चुके हैं और कुछ ऐसी भी हैं जहाँ जेडीयू एक बार जीत चुकी है। अब जेडीयू की इस मंशा को एनडीए के अंदर किस हद तक स्वीकार किया जा सकता है, यह देखना बाकी है। आज हम उन सीटों पर चर्चा करते हैं जहाँ से जेडीयू के उम्मीदवार चुनाव लड़ने को आतुर हैं।
दीघा विधानसभा
जेडीयू एक बार फिर दीघा विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहती है। यह बीजेपी की जीत वाली सीट है। दीघा विधानसभा से 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के संजीव चौरसिया ने जीत हासिल की थी। तब उन्हें 97044 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर रहीं सीपीआई (एमएल) की शशि यादव को 50971 वोट मिले थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के संजीव चौरसिया ने जीत का परचम लहराया था। तब संजीव चौरसिया को 92243 वोट और दूसरे नंबर पर रहे जेडीयू के राजीव रंजन प्रसाद को 67593 वोट मिले थे। 2010 में जदयू की पूनम देवी चुनाव ज़रूर जीती थीं। उन्होंने लोजपा के सत्यानंद शर्मा को हराया था। जदयू इसी आधार को बचाए रखकर राजधानी के आसपास की एक सीट अपने पास रखना चाहती है। एनडीए के रणनीतिकार जो चाहते हैं, उसका नतीजा जल्द ही सामने आ सकता है।
सुगौली विधानसभा
सुगौली विधानसभा वह क्षेत्र है जिस पर वर्तमान में राजद का कब्जा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के शशि भूषण सिंह ने जीत हासिल की थी। शशि भूषण सिंह को तब 65267 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर वीआईपी के रामचंद्र सहनी थे। इससे पहले 2015 और 2010 में भाजपा उम्मीदवार रामचंद्र सहनी जीते थे। लेकिन जदयू 2025 की लड़ाई लड़ना चाहती है। देखना यह है कि भाजपा आपसी समझौते के तहत अपनी कब्जे वाली सीट जदयू को देती है या नहीं।
कहलगांव विधानसभा
कहलगांव पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। वर्ष 2020 में भाजपा के पवन कुमार यादव को 115,538 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के शुभानंद मुकेश को 72,645 वोट मिले थे। वर्ष 2015 और 2010 में कांग्रेस के सदानंद सिंह यहाँ से चुनाव जीते थे। वर्ष 2010 में जदयू की कहकशां परवीन 36127 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं थीं। वर्ष 2005 में जदयू के अजय मंडल ज़रूर जीते थे। इसी को आधार बनाकर जदयू कहलगांव से चुनाव लड़ना चाहती है।
चैनपुर विधानसभा
चैनपुर विधानसभा की स्थिति यह है कि भाजपा प्रत्याशी बृज किशोर बिंद को बसपा के जमाखान ने हरा दिया था। तब जमाखान को 95245 और भाजपा के बिंद को 70951 वोट मिले थे। वर्ष 2015 के चुनाव में बृज किशोर बिंद ने बसपा के जमाखान को 671 वोटों से हराया था। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के बृज किशोर बिंद ने बसपा के अजय आलोक को लगभग 14 हज़ार वोटों से हराया था। वर्तमान स्थिति यह है कि बसपा के जमाखान शुरुआत में ही पाला बदलकर जदयू में शामिल हो गए थे। अब चैनपुरा जदयू की सीटिंग सीट बन गई है।
वज़ीरगंज विधानसभा
वज़ीरगंज विधानसभा भाजपा की मौजूदा सीट है। भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यहाँ से कांग्रेस उम्मीदवार शशि शेखर सिंह को हराया था। वीरेंद्र सिंह को तब 70 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले थे। 2015 में कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह जीते थे। भाजपा के वीरेंद्र सिंह 2010 में भी जीते थे। लेकिन जदयू ने उन्हें किस आधार पर और किस इरादे से अपनी सूची में शामिल किया, यह अभी भी पर्दा के पीछे है।

