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'ज्यादा जोर से बोलोगे तो गीला हो जाएगा...' तेजस्वी के बयान से विधानसभा में छिड़ा संग्राम, देखिये वायरल वीडियो 

'ज्यादा जोर से बोलोगे तो गीला हो जाएगा...' तेजस्वी के बयान से विधानसभा में छिड़ा संग्राम, देखिये वायरल वीडियो 

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र जैसे-जैसे अपने अंतिम दिनों की ओर बढ़ रहा है, राजनीतिक बयानबाजी और बहस का तापमान भी उसी गति से बढ़ रहा है। ताज़ा मामला बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के एक विवादित बयान का सामने आया है, जिसने सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह हलचल मचा दी।


बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान बोलते हुए तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "ज़्यादा तेज़ बोलोगे तो भीग जाओगे।" सत्ता पक्ष ने इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई और सदन में भारी हंगामा शुरू हो गया। एनडीए के कई विधायकों ने इस बयान को अशोभनीय, अमर्यादित और सदन की गरिमा के विरुद्ध बताया।तेजस्वी यादव ने दरअसल यह बयान सरकार के उन आरोपों के जवाब में दिया था, जिनमें उन्हें और उनके परिवार को कथित घोटालों और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरा जा रहा था। विपक्ष का कहना है कि सरकार मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए व्यक्तिगत हमलों का सहारा ले रही है।

तेजस्वी के बयान के तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सत्ता पक्ष के विधायक सदन के वेल में पहुँच गए और माफ़ी मांगने की मांग करने लगे। भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा, "तेजस्वी यादव का यह बयान न केवल असंसदीय है, बल्कि उनकी मानसिकता को भी दर्शाता है। उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।" दूसरी ओर, राजद और विपक्षी दलों ने तेजस्वी का बचाव करते हुए कहा कि वह राजनीतिक रूप से सरकार की 'कमजोर' स्थिति की ओर इशारा कर रहे थे, न कि व्यक्तिगत टिप्पणी के रूप में। मीडिया से बात करते हुए, राजद प्रवक्ता ने कहा, "तेजस्वी ने जो कहा वह प्रतीकात्मक था, इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है।" यह पहली बार नहीं है जब तेजस्वी यादव के किसी बयान ने राजनीतिक तूफान खड़ा किया हो। 

इससे पहले भी, वह कई बार अपने तीखे और व्यंग्यात्मक बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। लेकिन इस बार मामला विधानसभा की गरिमा और शिष्टाचार से जुड़ गया है, जिससे विवाद और भी गंभीर हो गया है। इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की सियासत में गर्माहट ला दी है। बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग जमकर बहस कर रहे हैं। कुछ लोग इसे 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' से जोड़ रहे हैं, जबकि कुछ इसे 'सार्वजनिक मर्यादा का उल्लंघन' मान रहे हैं। अब देखना यह है कि विधानसभा अध्यक्ष इस मामले में क्या फैसला लेते हैं और तेजस्वी यादव अपने बयान पर सफाई देते हैं या माफ़ी मांगते हैं। लेकिन एक बात तो साफ़ है कि बिहार की राजनीति में जुबानी जंग अब और भी तीखी होती जा रही है।

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