"सबका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है....' लीक्ड वीडियो में जानिए आचार्य Pramod Krishnam ने क्यों और किसके लिए कहे ये शब्द ?
देश की राजनीति में अक्सर अपने तीखे और बेबाक बयानों के लिए चर्चित आचार्य प्रमोद कृष्णम एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में एक टीवी डिबेट में उन्होंने बेहद विवादास्पद लेकिन चिंतन योग्य बयान देते हुए कहा,"इस देश में आजकल सबका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है—नेता हों, कार्यकर्ता हों या फिर आम लोग। हर कोई बस लड़ने-झगड़ने और आरोप-प्रत्यारोप में लगा हुआ है।"
आचार्य प्रमोद कृष्णम का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश की राजनीति में तीखे बयानों, सोशल मीडिया की बयानबाज़ी और वैचारिक ध्रुवीकरण की स्थिति चरम पर है। उन्होंने कहा कि आज देश में संवाद नहीं, सिर्फ शोर है।"हम बहस नहीं कर रहे, हम एक-दूसरे को नीचा दिखा रहे हैं। सोशल मीडिया हो या संसद, हर जगह मानसिक असंतुलन की झलक दिख रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।"जब विचार नहीं टकराते, बल्कि व्यक्ति ही शत्रु बन जाए तो समझ लीजिए कि समाज मानसिक रूप से बीमार हो चुका है। हम राष्ट्रनिर्माण से ज्यादा राष्ट्रविघटन की ओर बढ़ रहे हैं।"उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ विपक्षी नेताओं ने सहमति जताई, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने इसे "अनर्गल प्रलाप" कहा। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने कहा,"प्रमोद कृष्णम खुद ही कांग्रेस से निष्कासित नेता हैं, इसलिए अब वह ऐसी बेतुकी बातें कर लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं।"
गौरतलब है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम हाल ही में कांग्रेस नेतृत्व से नाराजगी जताते हुए खुलकर राहुल गांधी की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। लेकिन प्रमोद कृष्णम तब से और मुखर हो गए हैं, और लगातार सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रख रहे हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका यह बयान भले ही अतिशयोक्ति लगे, लेकिन समाज के मौजूदा मानसिक और भावनात्मक तनाव को उजागर करता है।
वरिष्ठ पत्रकार राकेश त्रिपाठी कहते हैं,"हम एक ऐसी पीढ़ी में जी रहे हैं जहां सोशल मीडिया से लेकर संसद तक संवाद की जगह कटाक्ष और ट्रोल संस्कृति ने ले ली है। प्रमोद कृष्णम का बयान उसी मानसिकता पर चोट करता है।"वहीं, कुछ मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि आज के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण में धैर्य, सहिष्णुता और शांति की भारी कमी दिख रही है, जो मानसिक तनाव का कारण बन रही है।

