बिहार में 'कॉपी-पेस्ट पॉलिटिक्स' का घमासान! तेजस्वी बोले- ‘नीतीश कुमार मेरे आइडिया चुरा रहे हैं’, जाने क्या बोली JDU ?
बिहार में दो दशकों से सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पाँचवीं चुनावी जीत दर्ज करने के लिए जी-तोड़ मेहनत में जुट गए हैं। विधानसभा चुनाव की गहमागहमी को देखते हुए नीतीश कुमार एक के बाद एक बड़े राजनीतिक दांव चल रहे हैं। बिहार में अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने के लिए नीतीश कुमार ने मुफ्त बिजली और एक करोड़ युवाओं को नौकरी देने के बाद अब राज्य में आशा-ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सोशल मीडिया के ज़रिए घोषणा की कि उन्होंने आशा या मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का मानदेय तीन गुना करने का फैसला किया है। आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय एक हज़ार से बढ़ाकर तीन हज़ार रुपये किया जाएगा और ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 रुपये की जगह 600 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।नीतीश कुमार ने भले ही घोषणा कर दी हो, लेकिन तेजस्वी यादव इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, तेजस्वी पहली बार नीतीश के फैसले का नहीं, बल्कि हाल के दिनों में सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम का श्रेय ले रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार में कॉपी-पेस्ट की राजनीति हो रही है, जिसके चलते तेजस्वी नीतीश के फैसले को अपना आइडिया बता रहे हैं?
आशा-ममता मानदेय पर छिड़ा क्रेडिट वॉर
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने का फैसला किया है। नीतीश ने कहा कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से हमने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने में आशा और ममता कार्यकर्ताओं के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए उनके मानदेय में वृद्धि का फैसला लिया गया है।
हालांकि, आशा या मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण भारत में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत, इन्हें समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बीच एक सेतु के रूप में देखा जाता है। वहीं, ममता कार्यकर्ता सरकारी अस्पतालों के प्रसव वार्डों में संविदा कर्मचारी हैं, जिनका काम नवजात शिशुओं और उनकी माताओं की देखभाल करना है।
नीतीश की घोषणा के बाद, राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में 17 महीने काम किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो अपने अंतिम चरण में पहुँच गई थी, लेकिन सरकार और मुख्यमंत्री हमेशा की तरह पीछे हट गए। एनडीए सरकार दो साल से इस पर बैठी रही और आखिरकार अब उन्हें हमारी माँग के आगे झुकना पड़ा।
बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार की घोषणाएँ
बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी के बीच, नीतीश कुमार ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं और एक के बाद एक बड़ी घोषणाएँ करने में व्यस्त हैं। नीतीश के नेतृत्व में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिनमें बुनियादी ढाँचे और रोज़गार से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक कई कल्याणकारी योजनाएँ शामिल हैं। नीतीश ने घोषणा की है कि अगले पाँच सालों में एक करोड़ से ज़्यादा नौकरियाँ देने का वादा है। सीतामढ़ी में माँ जानकी देवी का मंदिर बनाने और महिलाओं व बुज़ुर्गों की पेंशन बढ़ाने का वादा है।
सीएम नीतीश ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये करने का ऐलान किया। बिहार में 12वीं, आईटीआई और स्नातक पास कर चुके युवाओं को इंटर्नशिप के लिए 4000 रुपये से 6000 रुपये प्रति माह की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया। नीतीश कुमार ने बिहार में मान्यता प्राप्त पत्रकारों को दी जाने वाली पेंशन राशि 6000 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये प्रति माह करने का ऐलान किया है। इसके अलावा, राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण और 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली जैसे वादे भी किए हैं।
तेजस्वी यादव क्यों कर रहे हैं अपना दावा
तेजस्वी यादव पिछले एक साल से बिहार में नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने के लिए मैदान में हैं। नीतीश के खिलाफ माहौल बनाने के साथ-साथ तेजस्वी ने बिहार के राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कई वादों का ऐलान किया है। तेजस्वी ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने का वादा किया है। आरजेडी की घोषणा के बाद ही नीतीश कुमार ने महिलाओं की पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी है. इसीलिए तेजस्वी नीतीश की घोषणा पर अपना दावा ठोक रहे हैं.
बिहार में क्या कॉपी-पेस्ट की राजनीति चल रही है?
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव आशा-ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि के फैसले को नीतीश कुमार द्वारा शुरू की गई योजना की घोषणा के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी ने साफ़ तौर पर कहा कि नीतीश कुमार अब सरकार में रहते हुए किए गए कामों की री-पैकेजिंग करके घोषणा कर रहे हैं और उसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या नीतीश कुमार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की तेजस्वी यादव की योजना की घोषणा की है या इसके अलावा कुछ और है।
तेजस्वी यादव का कहना है कि उन्होंने बिहार सरकार को न केवल आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने के लिए मजबूर किया है, बल्कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और रसोइयों का मानदेय भी बढ़ाने के लिए मजबूर करेंगे। तेजस्वी ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगता है कि थकी हुई सरकार हमारी मांगों, वादों और इरादों से कितनी डरी हुई है।
आरजेडी नेता तेजस्वी ने कहा कि वही सरकार और मंत्री, नेता और अधिकारी जो कभी हमारी घोषणाओं का मज़ाक उड़ाते थे, अब सत्ता को अपने हाथ से जाते देख बेचैन हैं। क्या आप सब तेजस्वी की नकल करेंगे या अपना दिमाग भी लगाएँगे? इस तरह तेजस्वी यादव यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा नीतीश सरकार का अपना कोई विजन नहीं है बल्कि वह कॉपी पेस्ट की राजनीति के आधार पर चल रही है।

