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क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए

हिंदू धर्म में सोलह तरह के संस्कारों का विधान होता हैं इनमें से एक नामकरण संस्कार भी हैं जिसे शिशु के जन्म के दसवें दिन मनाया जाता हैं यह सोलह संस्कारों में पांचवां संस्कार होता हैं इस संस्कार का भी अन्य संस्कारों की तरह विशेष महत्व होता हैं इस संस्कार में शिशु को कुंडली के
क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए

हिंदू धर्म में सोलह तरह के संस्कारों का विधान होता हैं इनमें से एक नामकरण संस्कार भी हैं जिसे शिशु के जन्म के दसवें दिन मनाया जाता हैं यह सोलह संस्कारों में पांचवां संस्कार होता हैं इस संस्कार का भी अन्य संस्कारों की तरह विशेष महत्व होता हैं इस संस्कार में शिशु को कुंडली के मुताबिक नाम प्रदान किया जाता हैंक्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिएइसके लिए कई रीति रिवाज किए जाते हैं उसके बाद ही शिशु का नामकरण किया जाता हैं ऐसा भी कहा जाता हैं कि नामकरण संस्कार से शिशु दीर्घायु होता हैं साथ ही वह अपने जीवन में यश, कृति, सुख, समृद्धि और सफलता पाता हैं तो आज हम आपको नामकरण संस्कार से जुड़े कुछ नियम और महत्व बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए बता दें कि कि सभी धर्मों में नामकरण संस्कार का विधान होता हैं सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व होता हैं ऐसा कहा जाता हैं कि नामकरण से शिशु के संस्कार का पता चलता हैं इस संस्कार से शिशु में कर्म की प्रवृति जागृत होती हैं इसके लिए शिशु के दसवें दिन पूजा संस्कार किया जाता हैं अगर किसी कारणवश यह संस्कार दसवें दिन नहीं किया जाता हैं, तो इसे तीन महीने बाद या अगले साल करने का प्रावधान हैं। मान्यता है कि शिशु के जनम के बाद सूतक काल प्रारंभ होता जाता हैं जो दसवें दिन समाप्त होता हैं जाति के आधार पर सूतक निर्धारित होता हैं मगर आमतौर पर दसवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता हैं इस दिन पूजा पाठ के बाद बच्चे को शहद का स्वाद चटाया जाता हैं।क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिएक्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए

क्यों किया जाता है नामकरण संस्कार और क्या है महत्व, जानिए

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