जानिए गुप्त नवरात्रि व्रत नियम और पूजन विधि
25 जनवरी यानी आज से गुप्त नवरात्रि शुरू हो चुकी हैं यह नवरात्रि तंत्र मंत्र और पूजा पाठ की नवरात्रि मानी जाती हैं, वैसे तो साल में दो बार आने वाली नवरात्रि के बारे में हर कोई जानता हैं मगर इसके अलावा भी दो और नवरात्रि पड़ती हैं जिनमें विशेष मनोकामनाओं की सिद्धि की जाती हैं। गुप्त नवरात्रि के नाम से ही पता चलता हैं कि इन नवरात्रि को अधिक लोग नहीं जानते हैं। इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से ही इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं, महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रियों के महत्व को बताया गया हैं। इसमें विशेष तरह की मनोकामना पूर्ति और सिद्धि प्राप्ति करने के लिए साधना और अनुष्ठान किया जाता हैं और इन साधना और अनुष्ठान को गुप्त रखने से ही इसके फल की प्राप्ति होती हैं। तो आज हम आपको गुप्त नवरात्रि के नियम और पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं। जानिए गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि और नियम—
गुप्त नवरात्रि में आराधना और मनोकामना जितनी अधिक गोपनी होती हैं सफलता उतनी ही प्राप्त होती हैं। बता दें कि गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती हैं अगर कलश की स्थापना की हैं तो दोनों वेला मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ अवश्य करें। दोनों ही समय आरती भी करना जरूरी होता हैं मां को दोनों वेला भोग लगाएं। सबसे सरल और उत्तम भोग है लौंग और बताशा। माता के लिए लाल पुष्प अधिक शुभ माने जाते हैं पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी भूलकर भी नहीं अर्पित करना चाहिए।