आइए जानें कितने प्रकार के होते है बवासीर
जयपुर। ‘बवासीर’ व्यक्ति को यह रोग तब होता है जब उसके मलाशय या गुदा द्वार में नसों के गुच्छे सूज जाते हैं। बवासीर, जिसे पाइल्स या हेमोरॉयड्स भी कहा जाता है। विशेषज्ञ इसके बारे में बताते है कि कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है।

इसके अलावा जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।

अगर महिलाओं में इस रोग की बात की जाये तो प्रेग्नेंसी में गुदा नसों पर दबाव के चलते भी यह समस्या महिलाओं में अक्सर देखी जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक बवासिर 4 प्रकार के होते है। जिनमें से अंदरूनी बवासीर, बाह्य बवासीर, प्रोलेप्सड बवासीर, खूनी बवासीर है।

अंदरूनी बवासीर नाम के अनुसार ही अंदरूनी हिस्सों में पनपता है। यह मलाशय के अंदर विकसित होता है। कुछ मामलों में ये दिखाई नहीं देते क्योंकि ये गुदा में काफी अंदर विकसित होते हैं। बाह्य बवासीर गुदा द्वार के बाहरी छोर पर विकसित होता है। यह ठीक उसी सहत पर विकसित होते हैं जहां से मलत्याग किए जाते हैं। शुरूआती स्टेज में इससे ज्यादा समस्या नही आती है लेकिन गांठों का आकार बढ़ने के साथ ही ये समस्या बढ़ती जाती है।

प्रोलेप्सड बवासीर, जब इंटरनल पाइल्स में सूजन आ जाती है और वह गुदा द्वार से बाहर की तरफ निकलने लगता है तो इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर कहा जाता है।खूनी बवासीर, इस सब में से सबसे बड़ी समस्या माना जाता है। इसमें कई तरह से बचाव करने की जरूरत होती है। मलत्याग के दौरान खून आए तो इसकी गंभीरता को भांपते हुए तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।

