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बीवी को पढ़ाई करने से रोका तो पहुंची कोर्ट और फिर... जानें पूरा मामला

मध्य प्रदेश के इंदौर में पति-पत्नी के बीच रिश्ते में क्रूरता क्या मानी जाएगी, इसके मापदंड तय करने की हाईकोर्ट ने कोशिश की है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह की अदालत ने तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखा....
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मध्य प्रदेश के इंदौर में पति-पत्नी के बीच रिश्ते में क्रूरता क्या मानी जाएगी, इसके मापदंड तय करने की हाईकोर्ट ने कोशिश की है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्र सिंह की अदालत ने तलाक के मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में रखा है।

साथ ही इसे तलाक का आधार मानते हुए तलाक को मंजूरी दे दी गई। कोर्ट ने कहा- पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना या ऐसा माहौल बनाना कि वह अपनी पढ़ाई जारी न रख सके, शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत में ही उसके सपनों को नष्ट करने के बराबर है। उसे ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए मजबूर करना जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को बेहतर बनाने के लिए उत्सुक है, निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता है और तलाक का आधार है। वहीं, एक दिन पहले भी इंदौर हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया था।

शाजापुर जिले की रहने वाली भूरी की शादी 1 मई 2015 को भीम नाम के व्यक्ति से हुई थी। तब वह 12वीं पास कर चुकी थी और आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। उस समय ससुराल वालों ने अपनी सहमति दे दी थी। एक साल बाद 16 जुलाई को गौवन को डिस्चार्ज किया गया तो कहा गया कि दो दिन में उसे मायके भेज दिया जाएगा।

ससुराल पहुंचने पर उसके ससुराल वालों ने उसकी पढ़ाई बंद करा दी। उन लोगों ने उसे वापस भेजने के बजाय दहेज में एक लाख रुपये कम देने और मोटरसाइकिल न देने का आरोप लगाते हुए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पुलिस के हस्तक्षेप से भूरी के पिता उसे 27 जुलाई को घर ले आये। उसने शाजापुर कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की। पति ने विवाह की बहाली के लिए याचिका दायर की। अदालत ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह साबित नहीं हुआ है कि पति अपनी पत्नी के प्रति क्रूर था।

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