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‘रुक, एक-एक पुलिसवाले को 500-500 का नोट दे…’, मना किया तो 11 पुलिसकर्मियों ने ड्राइवर की फोड़ दी आंख, हुआ ये एक्शन

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उत्तर प्रदेश के कानपुर से पुलिस विभाग की साख पर सवाल खड़े करने वाली एक गंभीर घटना सामने आई है। यहां एक पशु व्यापारी से जबरन वसूली करने के आरोप में 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है। यह कार्रवाई तब की गई जब एक व्यापारी की शिकायत पर जांच में पुलिसकर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया।

हाईवे पर रोका गया पिकअप, वसूली के लिए ड्राइवर को पीटा

यह मामला चार दिन पहले का है जब मोहम्मद उजैर नामक पशु व्यापारी अपने पिकअप वाहन से भौति हाईवे से गुजर रहा था। पिकअप को लकी नाम का युवक चला रहा था। उसी दौरान रास्ते में मौजूद तीन पीआरवी वाहनों में तैनात 11 पुलिसकर्मियों ने पिकअप को रोक लिया।

व्यापारी का आरोप है कि पुलिसवालों ने प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से 500 रुपये की वसूली की मांग की। व्यापारी और ड्राइवर ने जब इतनी रकम न होने की बात कही तो पुलिसकर्मियों ने लकी की बुरी तरह डंडे से पिटाई कर दी। इस हमले में उसकी आंख में गंभीर चोट आई है।

पीड़ित का बड़ा दावा – पहले भी होता रहा है वसूली का खेल

पीड़ित व्यापारी ने थाने में जाकर पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई। उजैर का कहना है कि ये पुलिसकर्मी पहले भी उससे हर बार 200 रुपये प्रति व्यक्ति वसूलते थे। वह पैसे जमीन पर फेंक देता था और वे लोग उठा लेते थे। लेकिन इस बार उन्होंने 500 रुपये प्रति व्यक्ति की मांग की और डंडे से हमला कर दिया। पीड़ित के मुताबिक, पुलिस वालों ने गाड़ी रोककर कहा, "रुक, हम 11 लोग हैं... 500-500 के 11 नोट दे।"

दोषी पाए गए पुलिसकर्मी, सस्पेंड कर शुरू हुई विभागीय जांच

इस मामले में कार्रवाई करते हुए डीसीपी क्राइम आबिद कासमी ने कहा कि जांच में आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए हैं। इसलिए 11 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि अब यह भी देखा जा रहा है कि कहीं अन्य पुलिसकर्मी भी तो इस वसूली में शामिल नहीं थे। यदि जांच में और किसी की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस विभाग में हड़कंप, आरोपी समझौते की कोशिश में

एक साथ 11 पुलिसकर्मियों के निलंबन से कानपुर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों की मानें तो आरोपी पुलिसकर्मी अब पीड़ित से समझौते की कोशिश में लगे हुए हैं ताकि मामला न बढ़े।

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार, मारपीट और मनमानी के आरोप लगते रहे हैं, जिससे विभाग की छवि पर बुरा असर पड़ा है। इस मामले ने न केवल आम जनता का भरोसा कमजोर किया है बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की भी साख को चोट पहुंचाई है।

आगे क्या?

अब देखना यह है कि विभागीय जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और क्या सस्पेंड किए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होती है या फिर मामला समझौते की भेंट चढ़ जाएगा। फिलहाल जनता की निगाहें इस केस की निष्पक्ष जांच और इंसाफ पर टिकी हुई हैं।

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