विश्व भारती विश्वविद्यालय में मोदी सरकार ने 67.99 करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट किए शुरू
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में मोदी सरकार ने 67.99 करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।
भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय से सवाल पूछा था कि विश्व भारती विश्वविद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की वर्तमान स्थिति क्या है और इसकी विरासत को बनाए रखते हुए इसकी सुविधाओं को आधुनिक बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही पिछले पांच वर्षों में विश्व भारती विश्वविद्यालय में विरासत भवनों और परिसरों के नवीनीकरण एवं रखरखाव के लिए कितनी धनराशि आवंटित की गई है।
केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांता मजूमदार ने जवाब देते हुए कहा कि विश्व भारती में सीपीडब्ल्यूडी द्वारा 67.969 करोड़ रुपए की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं में शैक्षणिक भवन, सेमिनार हॉल कॉम्प्लेक्स, लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास तथा पुस्तकालय भवन का विस्तार शामिल है। शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2021 में विश्व भारती में विरासत भवनों के नवीनीकरण और रखरखाव के लिए 2.97 करोड़ रुपए का एकमुश्त अनुदान आवंटित किया।
मंत्री ने यह भी बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने ‘श्यामली’ भवन सहित महत्वपूर्ण विरासत संरचनाओं का नवीनीकरण किया है और वर्ष 2021 में 24 विरासत इमारतों के नवीनीकरण एवं रखरखाव का कार्य किया गया। यूनेस्को के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए विश्वविद्यालय ने आश्रम क्षेत्र में सप्ताह में दो बार हेरिटेज वॉक शुरू की है। परिसर में कचरा प्रबंधन की पहल भी शुरू की गई है।
उन्होंने बताया कि रवींद्र भवन के रिसर्च आर्काइव को पूरी तरह डिजिटाइज कर दिया गया है और इसे वैश्विक स्तर पर उपलब्ध कराया गया है, जबकि पुस्तकालय को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी से अपग्रेड किया जा रहा है।
यह भी सवाल पूछा गया कि क्या विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय और वैश्विक स्थिति में सुधार के लिए अनुसंधान सुविधाओं और शैक्षणिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए कोई विशेष पहल की गई है, पिछले पांच वर्षों में विश्व भारती में स्थापित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ किए गए विशिष्ट अनुसंधान सहयोग का विवरण क्या है, तथा विश्व भारती में खाली शिक्षण और प्रशासनिक पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इस पर सुकांत मजूमदार ने बताया कि विभिन्न विदेशी संस्थान जिन्होंने विश्व भारती के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी (चीन), शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ (चीन), भारत में फ्रांस दूतावास, थिएटर अकादमी (पोलैंड), इकोल सुपीरियर डी’आर्ट एट डी डिजाइन टूर्स एंगर्स ले मैंस (फ्रांस), रॉयल एकेडमी ऑफ आर्ट, द हेग (नीदरलैंड), फैकल्टी ऑफ डेकोरेटिव आर्ट, सुपाकोर्न यूनिवर्सिटी (थाईलैंड), स्टिचिंग ट्रोवैंकिंग एम्स्टर्डम (नीदरलैंड), क्योटो सागा यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट्स, क्योटो सागा आर्ट कॉलेज, क्योटो (जापान), एस्टमिलकॉर्प कंपनी लिमिटेड, मीता, मिनाटो-कू (जापान), फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स, बुराफा यूनिवर्सिटी (थाईलैंड) तथा फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट, ढाका विश्वविद्यालय (बांग्लादेश) शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि रिक्तियों का होना और उन्हें भरना एक सतत प्रक्रिया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय संसद के अधिनियमों के तहत स्थापित स्वायत्त निकाय होते हैं और वे अपने संबंधित अधिनियमों, नियमों और अध्यादेशों द्वारा शासित होते हैं। विश्व-भारती सहित सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मिशन मोड में रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया गया है, जिसकी नियमित रूप से निगरानी की जाती है।
--आईएएनएस
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