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विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर पड़ा दबाव, घरेलू निवेश से शेयर मार्केट को मिल रहा सपोर्ट

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। नवंबर महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के कारण भारतीय रुपए पर दबाव पड़ा। वहीं दूसरी ओर, घरेलू निवेशकों के निवेश से शेयर बाजार को सहारा मिला और बॉन्ड यील्ड में मजबूती आई।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर पड़ा दबाव, घरेलू निवेश से शेयर मार्केट को मिल रहा सपोर्ट

नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। नवंबर महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के कारण भारतीय रुपए पर दबाव पड़ा। वहीं दूसरी ओर, घरेलू निवेशकों के निवेश से शेयर बाजार को सहारा मिला और बॉन्ड यील्ड में मजबूती आई।

जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2025 में रुपया करीब 6 प्रतिशत कमजोर हुआ, जबकि आमतौर पर हर साल रुपए की गिरावट लगभग 3.5 प्रतिशत रहती है। इसकी बड़ी वजह एफआईआई का पैसा बाहर जाना और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता रही।

इस रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग, फाइनेंस सर्विसेज और इंश्योरेंस (बीएफएसआई) सेक्टर में अच्छी स्थिति बनी रही। बैंकों का कर्ज लगातार बढ़ा, जमा राशि में सुधार हुआ और बीमा प्रीमियम भी बढ़े। इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला। गाड़ियों की बिक्री में साल-दर-साल आधार पर बढ़ोतरी हुई।

बीएफएसआई के अलावा कुछ क्षेत्रों में मिला-जुला असर दिखा। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े नए ऑर्डर थोड़े कम हुए, धातुओं और स्टील की कीमतों में हल्की गिरावट आई और बंदरगाहों पर माल ढुलाई की रफ्तार पिछले महीने की तुलना में धीमी रही।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के विदेशी व्यापार की स्थिति में सुधार हुआ। नवंबर में व्यापार घाटा घटकर 24.5 अरब डॉलर रह गया, जो अक्टूबर में 42 अरब डॉलर था। रिपोर्ट में बताया गया कि सेवाओं से होने वाली कमाई (जैसे आईटी और अन्य सेवाएं) ने देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, बॉन्ड मार्केट में यह संकेत मिले कि ब्याज दरों में कटौती का दौर खत्म हो सकता है। आरबीआई की कुछ कोशिशों और दिसंबर में 0.25 प्रतिशत की दर कटौती के बावजूद बॉन्ड यील्ड बढ़ती दिखीं।

बैंकों का कर्ज लगभग 11.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा और जमा राशि में 10.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। निजी बैंकों की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) घटकर 9.4 प्रतिशत हो गई, जबकि सरकारी बैंकों की एमसीएलआर 8.8 प्रतिशत पर बनी रही।

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ऑटोमोबाइल के थोक बिक्री में सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। खासकर कमर्शियल वाहनों (सीवी) की बिक्री में 26.6 प्रतिशत की तेज वृद्धि दर्ज की गई।

दिसंबर में एफपीआई (विदेशी निवेशक) ने 11 कारोबारी दिनों में से 9 दिनों में शुद्ध बिकवाली की। बैंक ऑफ बड़ौदा की हाल ही की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के साथ व्यापार समझौता होने तक, यानी संभवतः मार्च 2026 तक, रुपए में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

--आईएएनएस

दुर्गेश बहादुर/एबीएस

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