महिला टॉयलेट के बाहर खड़े होने से रोकना पड़ा महंगा, दो नाबालिगों को कर दिया लहूलुहान

दिल्ली के उत्तरी इलाके गुलाबी बाग से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि महानगरों में नशे और अपराध की दलदल में कैसे फंस रहे हैं किशोर। दो नाबालिग लड़कों ने महिलाओं के सार्वजनिक शौचालय के पास खड़े होने से मना करने पर दो पुरुषों पर चाकू से हमला कर दिया। पुलिस ने दोनों नाबालिगों को हिरासत में ले लिया है।
शौचालय के बाहर टोकना पड़ा महंगा
25 अप्रैल की रात करीब आठ बजे बीपत और नरेश नाम के दो स्थानीय लोग महिलाओं के शौचालय के बाहर खड़े दो लड़कों को हटने के लिए कहा। इस पर दोनों नाबालिगों ने आपा खो दिया और चाकू निकालकर हमला कर दिया। बीपत के सिर और कंधे में गंभीर घाव आए, वहीं नरेश को पेट में चाकू लगने से हालत गंभीर हो गई। दोनों घायलों का इलाज दीपचंद बंधु अस्पताल में चल रहा है।
नाबालिगों की आपराधिक पृष्ठभूमि और नशे की लत
पुलिस जांच में सामने आया है कि ये दोनों नाबालिग पिछले दो साल से अपराधों में लिप्त हैं और नशे की गिरफ्त में हैं। उस रात भी वे झपटमारी या डकैती की फिराक में थे। पुलिस ने 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर उन्हें पकड़ा। पूछताछ में दोनों ने नशे और अपराध में शामिल होने की बात स्वीकार की।
किशोरों में बढ़ती अपराध प्रवृत्ति पर चिंता
यह घटना केवल एक पुलिस केस नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। नशे की लत और सामाजिक नियंत्रण की कमी किशोरों को अपराध की ओर धकेल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन बच्चों के पुनर्वास और काउंसलिंग के साथ-साथ कानून व्यवस्था को भी और संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है।
विश्लेषण: क्या समाज किशोरों को अपराध से बचा पा रहा है?
गुलाबी बाग की यह घटना यह बताती है कि नाबालिगों की दुनिया में गहराई से उतरते अपराध को केवल कानून से नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और परिवार के स्तर पर रोकना होगा।