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पति के रोक टोक से परेशान पत्नी ने बेटी के साथ मिलकर किया कांड, जानकर सन्न कर देगी पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 2 साल पुराने हत्या के मामले में एक स्थानीय अदालत ने 45 वर्षीय कांति देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कांति देवी पर अपने पति की हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप लगाया गया था। इस घटना में उनकी नाबालिग....
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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 2 साल पुराने हत्या के मामले में एक स्थानीय अदालत ने 45 वर्षीय कांति देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कांति देवी पर अपने पति की हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप लगाया गया था। इस घटना में उनकी नाबालिग बेटी भी शामिल थी। दोषी पत्नी अपने पति की घर से बाहर न जाने देने की आदत से परेशान थी, जिसके चलते उसने अपनी नाबालिग बेटी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची।


यह मामला 27 अगस्त 2022 का है, जब हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के कपासिया गांव में कांति देवी ने अपनी 17 वर्षीय बेटी के साथ मिलकर अपने पति पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था। गंभीर रूप से घायल पति को इलाज के लिए अलीगढ़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। मामला तब प्रकाश में आया जब दम्पति के 18 वर्षीय बेटे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में बेटे की गवाही ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अदालत ने इसे निर्णायक साक्ष्य माना।


पुलिस जांच और आरोप पत्र के अनुसार दम्पति के बीच आए दिन विवाद होता था। कांति देवी पर उनके पति ने "अनैतिक गतिविधियों" का आरोप लगाया था और उन्हें घर से बाहर जाने से रोक दिया गया था। इन बातों से नाराज होकर कांति देवी ने अपनी बेटी के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची। अदालत ने कांति देवी को दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं, उसकी नाबालिग बेटी का मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है। आजीवन कारावास के अलावा कांति देवी को 25000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा। ऐसा न करने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा होगी।


अभियोजन पक्ष ने मजबूत साक्ष्यों और गवाही के आधार पर हत्या की साजिश का पूरा विवरण अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। आरोप पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि महिला और उसकी बेटी ने पुरुष की आपत्तियों से नाराज होकर उसकी हत्या की साजिश रची थी। यह घटना पारिवारिक विवादों से उत्पन्न हिंसा की ओर इशारा करती है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ऐसे मामलों में परिवार से संवाद और परामर्श जरूरी है ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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