अमीर बनने का शॉर्टकट, खूबसूरत हसीना और बेरहम बॉयफ्रेंड! महिलाओं पर चलाई धड़ाधड़ गोली, 3 बार मिली फांसी की सजा

साल 2011 की 29 जून की शाम इंदौर का श्रीनगर इलाका एक ऐसे त्रिकाल त्रासदी का गवाह बना, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। 23 साल की नेहा वर्मा, जिसकी मासूम मुस्कान और भोली आंखों ने लोगों का भरोसा जीत लिया था, वही नेहा एक सोची-समझी साजिश के तहत एक ही परिवार की तीन हत्याओं की दोषी बन गई।
मासूमियत की आड़ में बन गई मौत का चेहरा
नेहा वर्मा एक महत्वाकांक्षी युवती थी, जो जल्द से जल्द अमीर बनना चाहती थी, चाहे रास्ता कोई भी क्यों न हो। उसी लालच ने उसे खतरनाक अपराध की राह पर ला खड़ा किया।
इंदौर के ऑर्बिट मॉल में उसकी मुलाकात हुई मेघा देशपांडे से—एक बैंक मैनेजर की पत्नी, जो अपनी बेटी अश्लेषा और मां रोहिणी के साथ रहती थी। नेहा ने चालाकी से खुद को एक भोली, संस्कारी लड़की के रूप में पेश किया और मेघा के दिल में अपनी जगह बना ली।
विश्वास को बनाया हथियार
नेहा ने खुद को एक ब्यूटीशियन बताकर मेघा के घर आना-जाना शुरू किया। कुछ हफ्तों में वह पूरे परिवार की चहेती बन गई। मेघा को वह अपनी बेटी जैसी लगने लगी थी। लेकिन नेहा के मन में एक और ही साजिश पल रही थी—लूट और हत्या की खौफनाक योजना।
29 जून 2011: वह खून से सनी दोपहर
उसी दिन नेहा मेघा के घर ब्यूटी प्रोडक्ट्स दिखाने के बहाने पहुंची। अंदर मेघा, उनकी मां रोहिणी और बेटी अश्लेषा मौजूद थीं। नेहा ने अपने बॉयफ्रेंड राहुल और उसके दोस्त मनोज को भी घर बुला लिया।
जैसे ही राहुल और मनोज अंदर आए, फौरन गोलियां चलनी शुरू हो गईं।
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मेघा पर गोली चलाई गई
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आवाज सुनकर दौड़ीं अश्लेषा और रोहिणी
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उन दोनों को भी गोलियों और चाकू से बेरहमी से मारा गया
तीनों महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई। नेहा वहीं खड़ी रही, बेजान चेहरों के बीच लाशों से गहने उतारती रही।
घर से बेशकीमती सामान और जिंदगी चुराई
नेहा, राहुल और मनोज ने घर में रखा कैश, गहने और अन्य कीमती सामान बैग में भरकर निकल लिए। पड़ोसियों को भनक तक नहीं लगी। शाम को जब मेघा के पति घर लौटे, तो तीन लाशें खून से लथपथ पड़ी थीं—घर श्मशान बन चुका था।
पुलिस जांच में एक अहम सुराग
पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड से कड़ी दर कड़ी जुड़ती चली गई। नेहा को गिरफ्तार किया गया, और पूछताछ में वह टूट गई। नेहा ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि उसने सब कुछ प्लान किया था—दोस्त बनना, भरोसा जीतना और फिर हमला करना।
यह सिर्फ हत्याकांड नहीं था, यह भरोसे की हत्या थी
नेहा ने जिसे "मां" और "आंटी" कहकर संबोधित किया, उन्हीं की जिंदगी छीन ली। जिनके घर में उसने चाय पी, उसी घर को खून से लाल कर दिया।
क्या कहता है समाज?
इस घटना ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे अंदर छिपी हवस, लालच, और झूठे सपनों की चाहत किसी इंसान को हैवान बना सकती है। नेहा, राहुल और मनोज आज सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उस परिवार के जख्म कभी नहीं भर पाएंगे।