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‘सपने में आई थी मां और बोली- आ जा बेटा…’ 16 साल के लड़के ने फांसी लगाकर दे दी जान

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महाराष्ट्र के सोलापुर से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक 16 वर्षीय मेधावी छात्र शिवशरण भुटाली तालकोटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह अपनी मां की मौत से गहरे सदमे में था और नीट (NEET) की तैयारी कर रहा था। शिवशरण डॉक्टर बनना चाहता था और उसकी मां का भी सपना था कि बेटा एक दिन डॉक्टर बने, लेकिन मां के निधन ने उसकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी।

मां की मौत के बाद टूटा बेटा, सपने में मां ने बुलाया

पुलिस के मुताबिक, शिवशरण की मां का तीन महीने पहले पीलिया के कारण निधन हो गया था। मां की मौत के बाद से वह गहरे अवसाद में था, लेकिन फिर भी चाचा और दादी के साथ रहकर पढ़ाई जारी रखे हुए था। मगर उसका दर्द भीतर ही भीतर उसे तोड़ रहा था। इसी दर्द का अंत उसने आत्महत्या के जरिए कर लिया। उसके पास से जो सुसाइड नोट मिला है, उसमें लिखा है: "मैं शिवशरण हूं। मैं मर रहा हूं क्योंकि मैं अब और जीना नहीं चाहता। मुझे तभी चले जाना चाहिए था जब मेरी मां चली गई थीं। मगर चाचा और दादी के लिए रुका रहा। कल मेरी मां सपने में आईं। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं इतना उदास क्यों हूं और कहा कि उनके पास आ जाओ। इसलिए मैंने मरने का फैसला किया।"

परिवार के लिए छोड़ा भावुक संदेश

सुसाइड नोट में शिवशरण ने अपने चाचा और दादी के प्रति गहरी कृतज्ञता भी व्यक्त की। उसने लिखा: "आपने मुझे मेरे माता-पिता से भी ज्यादा प्यार दिया है। चाचा, मेरे जाने के बाद मेरी बहन का ख्याल रखना। दादी को पापा के पास मत भेजना। आप सब लोग खुश रहें।" यह सुसाइड नोट केवल एक बच्चे का आखिरी अलविदा नहीं है, बल्कि यह समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की एक कड़ी पुकार भी है।

मेधावी छात्र था शिवशरण

शिवशरण एक बेहद होनहार छात्र था। उसने दसवीं कक्षा में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। मेडिकल की तैयारी कर रहा यह बच्चा अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा था, लेकिन मां की कमी और भावनात्मक टूटन ने उसे यह खौफनाक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।

पुलिस जांच जारी, परिवार में मातम

फिलहाल सोलापुर शहर पुलिस स्टेशन में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस जांच में जुटी है और सुसाइड नोट की सत्यता की भी पुष्टि कर रही है। परिवार में मातम का माहौल है। चाचा और दादी इस गम से टूट चुके हैं।

मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक सहयोग की जरूरत

यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की मानसिक स्थिति को लेकर कितने सजग हैं हम। माता-पिता का खो जाना किसी बच्चे के लिए पूरी दुनिया का उजड़ जाना होता है। ऐसे में परिवार, समाज और स्कूल को मिलकर उनके मनोबल को मजबूत करना चाहिए।

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