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भीड़ है कयामत की और हम…’ पहले देवर ने भाभी की भरी मांग, फिर नदी में लगा दी छलांग; वीडियो भी बनाया

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जिले से एक चौंकाने वाली और दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां देवर और भाभी ने समाज और परिवार के दवाब से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। घटना बहुती वाटरफॉल की है, जहां दोनों ने छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। लेकिन मौत से पहले देवर ने जो कदम उठाया, उसने रिश्तों की मर्यादा की सभी सीमाएं तोड़ दीं। मृतकों की पहचान 26 वर्षीय दिनेश साहू और 35 वर्षीय शकुंतला साहू के रूप में हुई है। शकुंतला शादीशुदा थी और तीन बेटियों की मां थी। बताया जा रहा है कि दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे और परिवार के विरोध के चलते मानसिक रूप से बेहद तनाव में थे।

सुसाइड से पहले भरी भाभी की मांग

मौत से ठीक पहले दिनेश ने शकुंतला की मांग में सिंदूर भरकर एक वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया। वीडियो के बैकग्राउंड में दर्दभरा गाना बज रहा था—“जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं, भीड़ है कयामत की और हम अकेले हैं।” इसके तुरंत बाद दोनों ने बहुती वाटरफॉल में छलांग लगा दी।

परिवार को बताया जिम्मेदार

वीडियो के साथ दिनेश ने एक पोस्ट भी शेयर की जिसमें उसने लिखा, “हम बहुत परेशान हैं। हमारी मौत के जिम्मेदार हीरालाल साहू, राजेंद्र साहू, संतोष साहू, राजकुमार साहू और उनका पूरा परिवार है। हाथ जोड़कर सरकार से विनती है कि इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।” वीडियो में दिनेश ने अपने गांव का नाम भी बताया और सीधे तौर पर सुसाइड का जिम्मेदार अपने ही परिवार को ठहराया।

महिला थी तीन बेटियों की मां

शकुंतला की उम्र 35 साल थी और वह तीन बेटियों की मां थी, जिनकी उम्र 11, 8 और 2 साल बताई जा रही है। घटना के बाद पूरे गांव और परिवार में मातम पसरा हुआ है।

शवों की तलाश में जुटी एनडीआरएफ

घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन ने तुरंत एनडीआरएफ की टीम को बुलाया, लेकिन 600 फीट ऊंचे इस झरने से गिरने के कारण शवों को निकालना बेहद कठिन हो गया। तेज बहाव और गहराई की वजह से तलाशी अभियान में काफी मुश्किलें आ रही हैं।

बहुती वाटरफॉल बना आत्महत्या का अड्डा

गौरतलब है कि बहुती वाटरफॉल पहले भी आत्महत्याओं और हादसों के लिए बदनाम रहा है। इसके बावजूद यहां कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था आज तक नहीं की गई है।

प्रशासन और समाज के लिए सवाल

इस हृदय विदारक घटना ने समाज, प्रशासन और सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या प्रेम अपराध है? क्या सामाजिक दबाव इतना असहनीय हो चुका है कि लोग जान देने पर मजबूर हो जाएं? अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या बहुती वाटरफॉल जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे या ऐसे हादसे यूं ही दोहराए जाते रहेंगे।

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