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योगा ट्रेनिंग के नाम पर चल रही आतंक की फैक्‍ट्री का भंडाफोड़, 2047 तक भारत को इस्‍लामिक देश बनाने का था टारगेट, जानिए पसीने छुड़ाने वाले खुलासे

देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने राजस्थान के जयपुर में PFI के एक मॉड्यूल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। एजेंसी के मुताबिक, योग ट्रेनिंग और सामाजिक गतिविधियों की आड़ में युवाओं को ब्रेनवॉश कर आतंकी बनाया जा रहा था। इनका अंतिम लक्ष्य था – 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना।

योगशाला नहीं, आतंक की पाठशाला

चार्जशीट के अनुसार, PFI के सदस्य युवाओं को योगशाला, मार्शल आर्ट और संगीत कार्यक्रमों के ज़रिए शारीरिक रूप से फिट रखने की बात करते थे, लेकिन असल में इसके पीछे चल रही थी खतरनाक साजिश। जयपुर के एक आरोपी मोहम्मद आसिफ के मोबाइल से जो फाइल मिली है, उसमें लिखा गया था कि युवाओं को योग, खेल, आखाड़े और संगीत के माध्यम से जोड़ा जाएगा, लेकिन असल उद्देश्य था उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग देना।

NIA के मुताबिक, योग ट्रेनिंग कैंप की आड़ में युवाओं को एयरगन, तलवार, चाकू और अन्य घातक हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही थी। ये ट्रेनिंग दो हिस्सों में दी जाती थी—कुल्हाड़ी 1 और कुल्हाड़ी 2। पहले भाग में मार्शल आर्ट, मुक्केबाज़ी और शूटिंग की ट्रेनिंग दी जाती थी, जबकि दूसरे भाग में दुश्मन के शरीर के कमजोर हिस्सों पर वार करना सिखाया जाता था।

2047 का खतरनाक टारगेट

चार्जशीट में दावा किया गया है कि युवाओं को गुजरात दंगों और मॉब लिंचिंग के वीडियो दिखाकर भावनात्मक रूप से भड़काया जाता था। उन्हें बताया जाता था कि भारत में मुस्लिमों के साथ अन्याय हो रहा है और इसे रोकने का एक ही तरीका है – भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदल देना। उन्हें यह सिखाया जाता था कि वे अपने प्राणों की भी आहुति देने से पीछे न हटें। यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा था, ताकि 2047 तक भारत में मुस्लिम शासन स्थापित किया जा सके।

जयपुर से चला आतंक का नेटवर्क

NIA ने जयपुर, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी, सवाई माधोपुर जैसे कई इलाकों में तलाशी अभियान चलाया, जहां से चाकू, एयरगन, कुल्हाड़ी, और डिजिटल डिवाइस बरामद की गईं। इन सभी चीजों को जांच के लिए सीएफएसएल, नई दिल्ली भेजा गया है। एजेंसी को संदेह है कि यह नेटवर्क राजस्थान तक ही सीमित नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी सक्रिय था।

फिजिकल फिटनेस या फिजिकल ट्रेनिंग?

चार्जशीट में मोहम्मद आसिफ के फोन से मिले वीडियो और फोटो इस दावे की पुष्टि करते हैं। एक वीडियो में पुरुषों और महिलाओं को एयरगन पकड़े देखा जा सकता है। एक अन्य तस्वीर में बॉक्सिंग ट्रेनिंग देते हुए PFI का झंडा और आज़ादी महोत्सव का पोस्टर दिखाई दे रहा है। यह सिर्फ दिखावे की गतिविधियाँ नहीं थीं, बल्कि युवाओं को विशेष रूप से चुना जाता था – जो शारीरिक रूप से सक्षम हों और उन्नत हथियारों की ट्रेनिंग ले सकें। उन्हें देश विरोधी गतिविधियों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया जाता था।

धन का स्रोत – ज़कात

NIA की चार्जशीट के अनुसार, जकात के नाम पर PFI ने करोड़ों रुपये इकट्ठा किए। जयपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक में PFI के नाम से खोले गए एक खाते की जांच में सामने आया कि 2011 से 2022 तक इसमें लगभग 2.98 करोड़ रुपये जमा हुए, जिनमें से 2.96 करोड़ रुपये निकाल भी लिए गए। यह धन मासूम मुस्लिम नागरिकों से धार्मिक भावनाओं के नाम पर वसूला गया था और उसका इस्तेमाल हथियार खरीदने, ट्रेनिंग कैंप चलाने और चुनिंदा लोगों को टारगेट करने में किया गया।

NIA की सख्त कार्रवाई

NIA ने जिन पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया, उनमें मोहम्मद आसिफ के अलावा अन्य चार आरोपियों की भूमिका भी संदिग्ध है। सभी आरोपियों के कॉल रिकॉर्ड, सोशल मीडिया कनेक्शन और बैंकिंग गतिविधियों की जांच जारी है। चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि PFI से जुड़े सदस्य अपने ही शहरों में ट्रेनिंग कैम्प चलाते थे, ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शक न हो।

युवाओं को कैसे फंसाया जाता था?

जांच में खुलासा हुआ है कि PFI युवाओं को पहले धार्मिक पहचान और सुरक्षा के नाम पर जोड़ता था। इसके बाद उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों से जोड़ा जाता, जिसमें योग, म्यूजिक, और हेल्थ से जुड़े कार्यक्रम होते। फिर धीरे-धीरे उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ा जाता।

  • उन्हें वीडियो दिखाए जाते थे जो मुस्लिमों के साथ कथित अत्याचार पर आधारित होते।

  • धार्मिक नेताओं के भाषणों से प्रेरित कर उनमें आक्रोश भरा जाता था।

  • फिर उन्हें 'कुल्हाड़ी' जैसे कोड नेम से चलने वाले ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल किया जाता था।

क्या है PFI?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) एक इस्लामिक संगठन था, जिस पर केंद्र सरकार ने 2022 में प्रतिबंध लगाया। सरकार का आरोप था कि यह संगठन देश विरोधी गतिविधियों, कट्टरपंथ फैलाने, और युवाओं को आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का काम कर रहा है। NIA की तफ्तीश और चार्जशीट ने यह साबित कर दिया है कि योग ट्रेनिंग जैसे पवित्र माध्यम को भी आतंकी संगठन अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने से नहीं चूकते। यह केस न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि किस तरह छद्म संगठनों की आड़ में भारत की अखंडता पर हमला करने की कोशिशें की जा रही हैं।

अब सवाल उठता है—क्या हम सतर्क हैं? क्या हमें अपने समाज में ऐसे गुप्त नेटवर्क की पहचान करने के लिए और सशक्त नहीं होना चाहिए?

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