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 बिहार की वोटर लिस्ट में बदलाव पर तेजस्वी यादव ने उठाए सवाल

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तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद एनडीए सरकार की साजिश है, जिसका मकसद गरीब, वंचित और शोषित वर्ग के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाना है. उन्होंने कहा कि 2003 में जब देशभर में नई वोटर लिस्ट तैयार की गई थी, तब इसे तैयार करने में पूरे दो साल लगे थे. लेकिन अब चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को महज 25 दिनों में पूरा करने की बात कर रहा है. यह संदेह पैदा करता है.बिहार में अचानक वोटर लिस्ट तैयार करने की चुनाव आयोग की घोषणा पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी ने कहा कि देश इस बात का जवाब जानना चाहता है कि 22 साल बाद इतनी बड़ी प्रक्रिया इतनी जल्दी क्यों शुरू की जा रही है.

तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद एनडीए सरकार की साजिश है, जिसका मकसद गरीब, वंचित और शोषित वर्ग के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाना है. उन्होंने कहा कि 2003 में जब देशभर में नई मतदाता सूची तैयार की गई थी, तो इसे तैयार करने में पूरे दो साल लग गए थे। लेकिन अब चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को सिर्फ 25 दिनों में पूरा करने की बात कर रहा है। इससे संदेह पैदा होता है।तेजस्वी यादव ने कहा, "बीजेपी गरीबों के मताधिकार पर हमला कर रही है। संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है। आज आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने संविधान बदलने की बात कही है और यह सब इसी सोच के तहत हो रहा है।"

उन्होंने सवाल उठाया कि यह प्रक्रिया सिर्फ बिहार में ही क्यों की जा रही है? क्या देश के बाकी राज्यों में भी ऐसी जरूरत है? तेजस्वी का कहना है कि यह साफ तौर पर बिहार को निशाना बनाने की सोची-समझी रणनीति है, क्योंकि यहां 8 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं और करीब 60 फीसदी लोगों को अब अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। आरजेडी नेता ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर आपत्ति जताने और पारदर्शिता की मांग के लिए महागठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चुनाव आयोग से मिलेगा। उन्होंने कहा, "जब लोग खड़े होते हैं, तो हिटलर जैसे तानाशाह भी सबक सीख जाते हैं। बिहार की जनता सतर्क है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।"तेजस्वी यादव ने चुनौती दी कि अगर चुनाव आयोग वाकई 2 महीने में मतदाता सूची तैयार कर सकता है, तो जाति जनगणना भी उसी समय सीमा में कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस प्रक्रिया के पीछे उद्देश्य क्या है और इसकी निष्पक्षता कैसे सुनिश्चित की जाएगी।

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