TCS अलगे साल देगी 42,000 फ्रेशर्स को नौकरी, वेतन वृद्धि पर अभी भी अनिश्चितता, टैरिफ संकट से प्रभावित हुआ कंपनी का रुख
नई दिल्ली। देश की प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा प्रदाता कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 42,000 फ्रेशर्स की नियुक्ति का ऐलान किया है। हालांकि, कंपनी ने मौजूदा टैरिफ संकट, अमेरिका की नीतियों, और ग्लोबल डिमांड में अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए वेतन वृद्धि को लेकर अब तक कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी है। टीसीएस के इस फैसले ने एक तरफ जहां नए स्नातकों और युवा पेशेवरों को नौकरी की उम्मीद दी है, वहीं दूसरी तरफ कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर अनिश्चितता ने चिंताओं को भी जन्म दिया है।
वित्त वर्ष 2025 की समाप्ति पर टीसीएस की स्थिति
टीसीएस ने हाल ही में अपनी चौथी तिमाही के वित्तीय नतीजे घोषित किए, जिसमें बताया गया कि वित्त वर्ष 2025 के अंत तक कंपनी के पास कुल 6,07,979 कर्मचारी थे। चौथी तिमाही में कंपनी ने 625 नए कर्मचारी जोड़े, जबकि पूरे वर्ष के दौरान 42,000 फ्रेशर्स की नियुक्ति की गई। टीसीएस के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी (CHRO) मिलिंद लक्कड़ ने कहा,
"हमने वित्त वर्ष 2025 में 42,000 प्रशिक्षुओं की नियुक्ति की है और हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में यह संख्या समान या इससे थोड़ी अधिक रहेगी।"
वेतन वृद्धि पर अभी नहीं हुआ कोई फैसला
टीसीएस के सीएचआरओ ने बताया कि वेतन वृद्धि को लेकर निर्णय फिलहाल टाला गया है। उन्होंने कहा, "हम अनिश्चित कारोबारी माहौल को देखते हुए वर्ष के दौरान इस पर निर्णय लेंगे।"
यह बयान ऐसे समय आया है जब दुनिया भर की आईटी कंपनियां मांग में कमी, वैश्विक टैरिफ नीतियों, और व्यापारिक अनिश्चितताओं से जूझ रही हैं। कई कंपनियां फिलहाल अपने व्यय को लेकर सतर्क रणनीति अपना रही हैं, जिससे वेतन वृद्धि और नई भर्तियों पर असर पड़ रहा है।
टीसीएस का टैलेंट हायरिंग प्लान
टीसीएस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह न केवल फ्रेशर्स, बल्कि आला (niche) और नई तकनीकों से जुड़ी प्रतिभाओं की भी तलाश कर रही है। कंपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में नई टेक्नोलॉजी स्किल्स वाले पेशेवरों की नियुक्ति करना चाहती है।
मिलिंद लक्कड़ ने कहा, "कैंपस से नियुक्तियां करना कंपनी के लिए रणनीतिक रूप से अहम है, लेकिन शुद्ध नियुक्तियों की संख्या समग्र कारोबारी स्थिति और स्किल डिमांड पर निर्भर करेगी।"
क्या एआई से नौकरी पर असर पड़ेगा?
कई विशेषज्ञों की यह चिंता रही है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता प्रभाव आईटी सेक्टर की नौकरियों पर असर डालेगा। लेकिन टीसीएस के सीएचआरओ ने इस पर स्पष्ट किया कि कंपनी को नहीं लगता कि एआई से नियुक्तियों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा, "एआई से जुड़े बिजनेस प्रोग्राम्स के लिए अधिक लोगों की जरूरत होगी, जिससे नई नौकरियां भी पैदा होंगी।"
यह बयान उस सोच को चुनौती देता है जो मानती है कि एआई नौकरियों को कम करेगा। इसके विपरीत, टीसीएस का मानना है कि AI नई भूमिकाएं और अवसर पैदा करेगा।
नौकरी छोड़ने की दर में मामूली वृद्धि
टीसीएस ने यह भी बताया कि वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में नौकरी छोड़ने की दर (attrition rate) पिछली तिमाही के 13% से बढ़कर 13.3% हो गई है। हालांकि, कंपनी ने यह भी कहा कि यह कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है। टीसीएस का दावा है कि वार्षिक आधार पर यह दर 130 आधार अंक (bps) घटी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि लंबे समय में कर्मचारियों का कंपनी में बने रहना बढ़ रहा है।
चौथी तिमाही के नतीजे रहे उम्मीदों के अनुरूप
टीसीएस ने अपनी चौथी तिमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा गुरुवार को की, जो बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रहे। हालांकि, कंपनी ने स्वीकार किया कि अमेरिका की टैरिफ नीतियों और भू-राजनीतिक तनावों के चलते वह मांग में प्रभाव देख रही है। प्रबंधन ने बताया कि वेतन वृद्धि पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि बाजार धारणा में सुधार स्थायी नहीं दिख रहा है और विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) भी प्रभावित हो रहा है।
टैरिफ संकट से प्रभावित हो रहा प्रोजेक्ट एक्सीक्यूशन
टीसीएस के प्रबंधन ने यह भी कहा कि उन्हें प्रोजेक्ट शुरू करने और निर्णय लेने में देरी का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और अन्य विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियों और आयात-निर्यात पर टैरिफ की चर्चा ने कई प्रोजेक्ट्स को आगे नहीं बढ़ने दिया है। हालांकि, कंपनी को उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2025, 2024 से बेहतर प्रदर्शन करेगा। इसका आधार उन्होंने वर्तमान ऑर्डर बुक को बताया है, जिसमें आने वाले समय के लिए मजबूत प्रोजेक्ट्स की संभावना जताई गई है।
टीसीएस की ओर से 42,000 फ्रेशर्स की नियुक्ति की घोषणा उन लाखों छात्रों के लिए राहत की खबर है जो आईटी सेक्टर में करियर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन साथ ही वेतन वृद्धि को लेकर बनी अनिश्चितता, टैरिफ संकट और ग्लोबल मार्केट में सुस्ती जैसे कारक भविष्य के लिए चुनौतीपूर्ण भी हैं। कंपनी की रणनीति यह स्पष्ट करती है कि वह युवा टैलेंट को अवसर देना चाहती है, लेकिन वह पूरी तरह सतर्क मुद्रा में है। जहां एक ओर एआई को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखा गया है, वहीं प्रोजेक्ट्स की शुरुआत में देरी और बाजार में अनिश्चितता चिंता का कारण बने हुए हैं। आईटी सेक्टर की बाकी कंपनियों के लिए भी यह संकेत है कि उन्हें लंबी अवधि के रणनीतिक कदम, नई स्किल्स की ओर झुकाव, और स्थिरता बनाए रखने के लिए निवेश पर ध्यान देना होगा। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि टीसीएस की यह भर्ती नीति कितना असर दिखाती है और वेतन वृद्धि पर कंपनी क्या रुख अपनाती है।

