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स्वच्छता को लेकर आम लोग हो रहे जागरूक: पर्यावरणविद

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वच्छ हिमालयी पहाड़ी शहर पहल कार्यक्रम के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कई पर्यावरणविद शामिल हुए। सभी ने स्वच्छता पर जोर दिया और इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा बताया। साथ ही, कार्यक्रम में शामिल हुए पर्यावरणविदों ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं हैं। हम इस दिशा में लगातार लगे हुए हैं और उन्हें स्वच्छता को लेकर जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले।
स्वच्छता को लेकर आम लोग हो रहे जागरूक: पर्यावरणविद

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्वच्छ हिमालयी पहाड़ी शहर पहल कार्यक्रम के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कई पर्यावरणविद शामिल हुए। सभी ने स्वच्छता पर जोर दिया और इसे अपने जीवन का अहम हिस्सा बताया। साथ ही, कार्यक्रम में शामिल हुए पर्यावरणविदों ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं हैं। हम इस दिशा में लगातार लगे हुए हैं और उन्हें स्वच्छता को लेकर जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले।

पर्यावरणविद प्रदीप सांगवान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम लोगों को लगातार स्वच्छता को लेकर जमीनी स्तर पर जागरूक कर रहे हैं। खासकर हॉलिडे डेस्टिनेशन में लोग इसे लेकर जागरूक नहीं हैं, तो सबसे पहले हम ऐसी जगहों को चिन्हित करके उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक करते हैं। इसके बाद अनुपयोगी वस्तुओं (कूड़ों) का वर्गीकरण करते हैं। आज हमने इसी पर चर्चा की है। इसे लेकर आगे क्या कदम उठाने हैं? इस संबंध में हमने पूरी रूपरेखा निर्धारित कर ली है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इसका जिक्र भी किया था। उन्होंने हमें इस संबंध में फोन भी किया था। यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है कि वो खुद हमें फोन कर रहे हैं। वो हमसे पता कर रहे हैं कि काम कैसा चल रहा है। हम लोग प्रतिदिन सात से आठ टन कूड़ा संग्रहित कर रहे हैं। यह सबकुछ संभव हो पाया है, तो इसकी एकमात्र वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारी इस पहल पर रुचि ली। अगर प्रधानमंत्री हमारी इस छोटी सी पहल का भी संज्ञान लेते हैं, तो इससे यह साफ जाहिर होता है कि वो उनका देश की साफ-सफाई को लेकर कितना बड़ा विजन है। लिहाजा, हमें हमेशा कृतज्ञ रहूंगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी इस पहल का स्वागत किया। इससे अन्य लोग भी प्रेरित हुए हैं। इससे आगामी दिनों में समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि हमारे कैंपेन का नाम हीलिंग हिमालय है। इसके तहत हम पहाड़ों को भी हील करते हैं और खुद को भी हील करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैंने इस अभियान से बहुत कुछ सीखा है। इसे मैं आपको एक उदाहरण के जरिए समझाता हूं। मान लीजिए, आपने किसी दूसरे का फेंका हुआ कचरा उठा लिया, तो जीवन में आप कभी खुद कचरा नहीं फेकेंगे। इससे बड़ी सीख नहीं हो सकती है। हमें इसके बारे में स्कूल और कॉलेज में ही बच्चों को बताना चाहिए। इस पहल से आम लोग काफी प्रभावित हुए हैं और वो अपने समाज से कचरा साफ करने को लेकर पूरी तरह से प्रेरित हुए हैं।

कीन संस्था की अध्यक्ष सुनीता कुदले ने कहा कि हमारी संस्था मूल रूप से लोगों के आंदोलन का नतीजा है। हमारी संस्था मसूरी में है। हम सभी लोगों ने इस संस्था को शुरू किया है। हमारी संस्था दूर-दूर जाकर कचरा संग्रहित करती है। हमारी संस्था में मूल रूप से 180 सदस्य हैं, जिनमें से 130 महिलाएं हैं, और ये वो महिलाएं हैं जो मूल रूप से बहुत ही पिछड़े वर्ग से आती हैं। ये महिलाएं शिक्षित नहीं हैं, लेकिन अपने परिवार के लिए कमाती हैं। कोविड के दौरान यह एक अकेली संस्था थी जिसने स्वच्छ भारत मिशन में हिस्सा लिया था और जमीनी स्तर पर काम किया। हमारी संस्था ने न सिर्फ कोविड, बल्कि अन्य महामारियों से भी लोगों को बचाकर रखा।

उन्होंने कहा कि वैसे तो सफाई की बात सभी करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में नारा दिया, जिसका सकारात्मक असर पड़ा। पहले जब हम कूड़ा उठाने जाते थे, तो लोग कहते थे कि कूड़े वाले आ गए। लेकिन, अब जब हम जाते हैं, तो लोग कहते हैं कि देखो कीन के लोग आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से नारे लगाने के बाद पूरे समाज में इसे लेकर एक तरह का आत्मविश्वास और स्वाभिमान पैदा हुआ है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। अब लोग यह कहते हैं कि कूड़ा हम फैलाते हैं, लेकिन ये लोग उठाते हैं।

उन्होंने कहा कि मसूरी एक पर्यटक स्थल है, जहां पर कई पर्यटक आते हैं। यहां पर न सिर्फ आम लोग हैं, बल्कि कई स्कूल और शैक्षिक संस्थान भी हैं। यहां पर आईएएस का प्रशिक्षण केंद्र लबासना भी है। यह 200 साल पुराना शहर है। यहां पर कई विरासत हैं। यहां डंपिंग ग्राउंड भी था, जहां पर पिछले 90 सालों से कूड़ा फेंका जा रहा था। इसके बाद पूरे शहर ने मिलकर बीड़ा उठाया कि हम इसे साफ करेंगे। इसके बाद इसे साफ किया गया। आज यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। आज की तारीख में मसूरी के लोगों में स्वच्छता को लेकर सकारात्मक बदलाव आया है।

इत्तिशा सारा ने कहा कि सोशल डिजाइनिंग में मास्टर करने के बाद मेरे मन में इस देश में मौजूद कूड़े के निस्तारण करने की प्रेरणा जगी। मास्टर की पढ़ाई करने के बाद मैंने फैसला किया कि मैं पूर्वोत्तर जाऊंगा और वहां पर स्वच्छता के अभियान को नई ऊर्जा दूंगी। इसके बाद मैंने कूड़े के प्रबंधन के बारे में सीखने के बाद मैंने उसे अपने राज्य में लागू करने का फैसला किया। असम में कुछ दिनों के बाद काम करने के बाद मैंने अरुणाचल प्रदेश का रुख किया। जहां पर मैं स्वच्छता अभियान को नई ऊड़ान दे रही हूं। पहले मेरे पास कोई रोडमेप नहीं था। लेकिन, इसके बाद मैंने इस संबंध में रोडमेप निर्धारित किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में हमारे नाम का जिक्र किया, तो हमें खुशी मिली। अब हम यह महूसस कर रही हूं कि लोग स्वच्छता को लेकर जागरूक हो रहे हैं। कई लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।

मनोज बेंजवाल ने कहा कि मैं उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले का रहने वाला हूं। वहां एक संगठन है सेवा इंटरनेशनल। फिलहाल, मैं उसी में काम कर रहा हूं। अब मैं देख पा रहा हूं कि लोग स्वच्छता को लेकर जागरूक हो रहे हैं। पहले लोगों को लगता था कि ये सिर्फ पर्यावरणविद का ही काम है, लेकिन अब इसे लोग अपना काम समझ पा रहे हैं। इससे हमें खुशी मिल रही है। मैं स्वच्छता से संबंधित 500 से ज्यादा अभियान का आगाज कर चुका हूं। हम इस संबंध में स्कूली विद्यार्थियों को भी प्रेरित कर रहे हैं और उन्हें स्वच्छता की अहमियत के बारे में बता रहे हैं।

एकीकृत पर्वतीय पहल के सचिव रोशन राय कहते हैं, "हम एक ऐसा मंच हैं जो पहाड़ों से जुड़े मुद्दों को उठाता है, क्योंकि इन मुद्दों के लिए विशिष्ट नीतिगत और व्यवहारिक हस्तक्षेपों की आवश्यकता होती है जो पर्वतीय क्षेत्रों, विशेष रूप से हिमालय की नाजुक लेकिन महत्वपूर्ण सामाजिक-पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील हों। यही वह काम है जो हम करते आ रहे हैं।"

--आईएएनएस

एसएचके/डीकेपी

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