जेल में कटे 36 साल? 104 साल की उम्र में हुआ रिहा, मगर फिर जेल से निकलते ही कर दिया ऐसा कांड़ जानकर हिल जाएगा दिमाग

पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से एक अद्भुत और मार्मिक खबर सामने आई है। 36 साल से जेल में सजा काट रहे रक्षित मंडल को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर आखिरकार रिहाई मिल गई है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि रिहा होने के वक्त रक्षित की उम्र 104 वर्ष हो चुकी है। रक्षित मंडल को वर्ष 1988 में अपने ही भाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस समय उनकी उम्र 72 साल थी। यह मामला भूमि विवाद से जुड़ा था। वर्ष 1992 में उन्हें मालदा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जेल में अच्छा व्यवहार बना रिहाई की वजह
रक्षित मंडल ने 36 वर्षों में कुछ समय जमानत और पैरोल पर जेल से बाहर बिताया, लेकिन अधिकतर वक्त उन्होंने जेल की चारदीवारी के अंदर ही गुजारा। उनकी अच्छे आचरण और व्यवहार को देखते हुए जेल प्रशासन ने कई बार उनकी रिहाई की सिफारिश की थी, लेकिन हर बार याचिका खारिज हो जाती थी। हालांकि, इस बार कलकत्ता हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
'मैं निर्दोष था, लेकिन हालात ने मुझे सजा दिलाई'
रिहा होने के बाद मीडिया से बातचीत में रक्षित मंडल ने कहा, “मैंने अपने भाई की हत्या नहीं की थी। हालात का शिकार हुआ। अब जब बाहर आया हूं तो परिवार और बागवानी में ही समय बिताऊंगा।” 104 साल की उम्र में भी काफी फिट और स्पष्ट बोलने वाले रक्षित ने कहा कि उन्होंने जेल में इतने दिन बिता दिए कि अब उन्हें याद भी नहीं कि वह कब अंदर आए थे। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा तकलीफ परिवार की याद आने पर होती थी, खासकर पोते-पोतियों की। जब उनसे उम्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मजाक में कहा, “मैं तो 108 का हो गया हूं शायद!” लेकिन उनके बेटे ने तुरंत उन्हें सुधारा और कहा कि, “पिता जी 104 वर्ष के हैं।” जेल प्रबंधन ने भी दस्तावेजों के आधार पर उनकी उम्र की पुष्टि की।
न्याय में देरी, पर इंसाफ मिला
इस मामले ने एक बार फिर न्याय व्यवस्था की गति पर सवाल उठाया है, लेकिन यह भी साबित किया है कि देर से ही सही, इंसाफ अब भी जिंदा है। रक्षित मंडल अब अपने परिवार के साथ शांति से जीवन बिताना चाहते हैं।