भाई की जान की भीख मांगती रही बहन, कोई नहीं आया बचाने, दिल्ली में दर्दनाक हत्याकांड

उत्तर-पश्चिम दिल्ली के एक इलाके से दिल दहला देने वाला हत्याकांड सामने आया है, जिसमें एक बाइक टैक्सी चलाने वाले कंवलजीत सिंह की बेरहमी से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई। यह वारदात न केवल एक परिवार को उजाड़ गई, बल्कि मोहल्ले की खामोशी ने इंसानियत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिम्मेदारियों से भरी थी कंवलजीत की जिंदगी
कंवलजीत की बहन प्रीति ने बताया कि उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, और कंवलजीत ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाता था। पहले वह एक डिलिवरी एजेंसी में काम करता था, फिर बाइक टैक्सी चलाकर परिवार का पेट पाल रहा था। उसके दो छोटे बच्चे हैं और पत्नी हाल ही में अपेंडिक्स के ऑपरेशन से उभरी है।
बाथरूम में किया गया हमला
घटना सोमवार की है। कंवलजीत अपनी पत्नी ज्योति को अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर लाया था और नहाने के लिए बाथरूम में गया था। तभी आरोपी दबे पांव घर में दाखिल हुए और बाथरूम में ही पीछे से चाकू से हमला कर दिया। उस समय कंवलजीत ने कपड़े भी नहीं पहने थे। जान बचाने के लिए वह किसी तरह सीढ़ियों से भागकर गली में आया, लेकिन हमलावर लगातार उसका पीछा करते रहे और ताबड़तोड़ चाकू मारते रहे।
“बचाओ-बचाओ” चिल्लाता रहा, कोई नहीं आया
बहन प्रीति की मानें तो उसका भाई पूरे मोहल्ले में “बचाओ-बचाओ” चिल्लाता रहा। वह खुद लोगों के दरवाजे पीटती रही, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। कंवलजीत पर चाकू से 30 से ज्यादा वार किए गए। उसकी छाती और पेट छलनी हो गए। बहन का कहना है कि अगर मोहल्ले के लोग मदद को आगे आते, तो शायद भाई की जान बच सकती थी।
पत्नी ने कहा – “मैं उठ भी नहीं सकती थी”
पत्नी ज्योति ने बताया कि वह ऑपरेशन के बाद बिस्तर से उठने की हालत में नहीं थी। वह बस पति की चीखें सुनती रही, लेकिन कुछ कर नहीं पाई। कंवलजीत बार-बार कह रहा था – “मुझे बचा लो... मुझे बचा लो...” लेकिन आसपास से किसी ने भी बाहर आकर मदद नहीं की।
नाबालिग आरोपी पहले भी कर चुका है हत्या
इस दर्दनाक हत्याकांड में एक नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इसी नाबालिग ने जुलाई 2023 में भी एक युवक की हत्या की थी। उस समय भी वह पकड़ा गया था लेकिन नाबालिग होने के कारण कुछ समय बाद रिहा कर दिया गया। अब एक बार फिर उसने उसी मोहल्ले में खौफनाक वारदात को अंजाम दिया है।
अब कौन संभालेगा परिवार?
कंवलजीत के दो छोटे बच्चे अनाथ हो गए हैं। उसकी बीमार पत्नी और बहन अब बेसहारा हैं। इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारे समाज में डर और चुप्पी इंसानियत से बड़ी हो गई है। यह वारदात सिर्फ एक हत्या नहीं, समाज की संवेदनहीनता का आईना है। नाबालिग अपराधियों को लेकर कानून की गंभीरता और मोहल्लों की चुप्पी दोनों पर अब नए सिरे से सोचने की जरूरत है।