सिंहावलोकन 2025: ताकाइची से लेकर वेनेजुएला की मचाडो तक, अचानक ही वैश्विक पटल पर छा गईं ये महिलाएं
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। वैश्विक राजनीति और सार्वजनिक जीवन में कभी-कभी कुछ नाम ऐसे उभरते हैं जो योजनाबद्ध प्रचार से नहीं, बल्कि घटनाओं की तीव्रता से सुर्खियों में आ जाते हैं। जापान में सख्त राष्ट्रवादी रुख के कारण बार-बार चर्चा में रहीं सानाए ताकाइची से लेकर वेनेजुएला की सत्ता-विरोधी राजनीति की प्रतीक बन चुकी मारिया कोरीना मचाडो तक, इन महिलाओं की मौजूदगी ने अपने-अपने देशों की राजनीति को नया मोड़, नई बहस और नया विमर्श दिया। कहीं नेतृत्व की दौड़ ने उन्हें खबरों में ला खड़ा किया, कहीं विरोध, प्रतिबंध या चुनावी टकराव ने।
सानाए ताकाइची ने जापान की राजनीति में नया अध्याय जोड़ा। अक्टूबर में इस देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। राजनीतिक विचारधारा में बेहद रूढ़िवादी ताकाइची, सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी (एलडीपी) की नेता हैं, एक ऐसी पार्टी जो नवंबर 1955 में गठन के बाद से अब तक, एक संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, ज्यादातर यही पार्टी जापान की सत्ता में रही है। इस लंबी लोकतांत्रिक शृंखला में पहली बार एक महिला को पार्टी का नेतृत्व सौंपा गया।
21 मार्च 2025, 72 वर्षीय नेटुम्बो नंदी-नदैतवा ने दक्षिणी अफ्रीकी देश नामीबिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। यह अफ्रीका में एक ऐतिहासिक घटना थी और महिला नेतृत्व के लिए एक बड़ा उदाहरण बनी। इन्हें आम लोगों ने चुन कर सत्ता की शीर्ष पर पहुंचाया। वे अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (स्वापो) की सदस्य हैं, एक ऐसा दल जो कि रंगभेद वाले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लंबे संघर्ष के बाद 1990 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से सत्ता में है। नदैतवा महज 14 साल की थीं, जब वे स्वापो की सदस्य बनीं, जो उस समय दक्षिण अफ्रीका के श्वेत-अल्पसंख्यक शासन का विरोध करने वाला एक मुक्ति आंदोलन था।
ऐसी ही एक महिला ने खामोशी से दुनिया में अपना नाम रोशन करा दिया। ये अफ्रीकी देश मलावी की फलेस डेब्रा मोयो हैं। अक्टूबर 2025 में चुनाव हुए और इनमें मोयो भी जीतीं। ये जीत खास थी। वो इसलिए क्योंकि पहली बार चिटिपा नॉर्थ से किसी महिला ने जीत का परचम लहराया था। बतौर निर्दलीय उम्मीदवार बंपर वोट हासिल किए।
ऐसा ही एक नाम भारतीय मूल की गजाला हाशमी का भी है। हैदराबाद में जन्मी हाशमी ने भी इतिहास रच दिया। वे वर्जीनिया की लेफ्टिनेंट गवर्नर चुनी गईं, जो इस पद पर पहुंचने वाली पहली भारतीय मूल की महिला हैं। डेमोक्रेट गजाला हाशमी ने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को कड़े मुकाबले में हराया। उन्हें 52.4 प्रतिशत वोट मिले थे।
अब नाम एक ऐसी महिला का जो वेनेजुएला में छिप रही है। मानवतावादी है और शांति की पुजारी भी। नाम है मारिया कोरिना मचाडो। एक राजनेता जो अचानक से विश्व पटल पर तब छाई जब नोबेल पीस प्राइज 2025 की घोषणा हुई। इन्हें इसके लिए चुना गया। लेकिन असली कहानी तो इसके बाद थी। दिसंबर में वो पुरस्कार लेने के लिए ओस्लो पहुंचना चाहती थीं। ऐसे में 'गोल्डन डायनामाइट' एक्शन में आया। एक ऐसा अभियान जिसमें वो सघन रास्ते से होते हुए समुद्र और फिर हवाई सफर करते हुए ओस्लो पहुंची लेकिन तब तक थोड़ी देर हो गई थी। फिर भी जो उन्होंने किया वो मिसाल बन गया। ऐसा पहली बार ही हुआ होगा कि नोबेल पुरस्कार विजेता इतनी दुश्वारियां लांघ कर अपनी मंजिल तक पहुंची।
--आईएएनएस
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