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मसूरी रोड के कॉलेज में यौन शोषण — नौंवी की छात्रा को सात साल बाद मिला न्याय

मसूरी रोड के कॉलेज में यौन शोषण — नौंवी की छात्रा को सात साल बाद मिला न्याय

मसूरी रोड स्थित एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग-स्कूल में पढ़ने वाली नौंवी (कक्षा 9) की नाबालिग छात्रा के साथ 2018 में हुए यौन शोषण के मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी स्वीमिंग कोच को सजा दी है। दोषी को पांच साल की कठोर कारावास की सजा मिली है। साथ ही पीड़िता को क्षतिपूर्ति भी दी गई है। Live Hindustan

📄 मामला — क्या हुआ था

  • 13 दिसंबर 2018 को राजपुर थाना में पीड़िता की मां ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी, जो नौंवी कक्षा में पढ़ती थी, नवंबर 2018 से स्कूल के स्वीमिंग कोच सुरेंद्र पाल सिंह (मूल निवासी: विकासनगर सियोना चौक, पटियाला, पंजाब) द्वारा बार-बार शारीरिक उत्पीड़न और यौन शोषण का शिकार हो रही थी। Live Hindustan

  • शिकायत में यह भी कहा गया था कि कोच ने पीड़िता को पढ़ाई या स्पोर्ट्स के बहाने परेशान किया, इतना ही नहीं — फोन पर अश्लील बातें भी की गई थीं। पीड़िता का कहना था कि इससे वह मानसिक रूप से टूट चुकी थी और पेपर देने में भी असमर्थ रही थी। Live Hindustan

  • पुलिस ने शिकायत के आधार पर त्वरित कार्रवाई की — 15 दिसंबर 2018 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में 23 मई 2019 को चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन सुनवाई में देरी होती रही। Live Hindustan

⚖️ अब अदालत ने सुनाया फैसला

  • देर से ही सही, न्यायालय ने अब दोषी को 5 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। Live Hindustan

  • साथ ही अदालत ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार पीड़िता को 1 लाख रुपये प्रतिकर (compensation) दे। Live Hindustan

  • अदालत ने यह भी पाया कि स्कूल के प्रधानाचार्य (प्रिंसिपल) ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की और तथ्यों को दबाने की कोशिश की — इसलिए प्रधानाचार्य के खिलाफ भी अलग से केस चलाया जाएगा। Live Hindustan

🎯 क्यों है यह फैसला मायने रखता

  • यह फैसला यह संदेश देता है कि चाहे कितने साल बीत जाएँ — स्कूल, हॉस्टल, बोर्डिंग संस्थानों में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण की घटनाओं को न्याय मिलने की उम्मीद बनी रहती है।

  • यह न्याय व्यवस्था और संवेदनशील अदालतों की भूमिका पर भरोसा लौटाता है — जिसने लंबे समय तक चले मुकदमे के बावजूद पीड़िता को न्याय दिलाया।

  • साथ ही, इस फैसले से अन्य संस्थानों, शिक्षकों और कोचों को भी चेतावनी मिलती है कि वे बच्चों की सुरक्षा, उनकी निजता और सम्मान का उल्लंघन नहीं करें।

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