सर्दियों में सरसों का साग: सेहत का कवच और स्वाद का साथी
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। सर्दियों के आते ही सरसों का साग घर की रसोई में खुशबू बिखेरने लगता है। यह सिर्फ स्वादिष्ट नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए एक स्वास्थ्य कवच की तरह है। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर की आंतरिक गर्मी को बनाए रखता है।
आयुर्वेद सरसों के साग को शरीर के लिए लाभदायी बताते हुए इसके औषधीय गुणों पर रोशनी डालती है। सरसों के पत्ते गर्म प्रकृति के होते हैं, जो ठंड के मौसम में बढ़े हुए वात और कफ दोष को संतुलित करते हैं। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और शरीर में आंतरिक गर्माहट बनाए रखता है, जिससे सर्दी-जुकाम और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
सरसों का साग पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, सी, के और ई के साथ फोलेट, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व आंखों की रोशनी, इम्युनिटी, हड्डियों की मजबूती और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं।
इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और ग्लूकोसाइनोलेट्स शरीर को डिटॉक्स करने और कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इसे बल्य और रसायन माना गया है, जो रक्त संचार सुधारता है, मानसिक सुस्ती दूर करता है और स्फूर्ति देता है।
सरसों का साग बनाने का तरीका आसान है। ऐसे बनाएं कि इसके पोषक तत्व बरकरार रहें। सरसों के पत्तों में थोड़ा बथुआ या पालक मिलाएं। ज्यादा उबालने से बचें और धीमी आंच पर पकाएं। तड़के में देशी घी, लहसुन, अदरक और हींग, जीरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। मक्की की रोटी के साथ इसे खाना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि संयोजन पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है और स्वाद को दोगुना कर देता है।
सरसों के साग को दोपहर के भोजन में गर्म-गर्म खाना सबसे फायदेमंद होता है। इसे ठंडी चीजों जैसे दही के साथ न लें। सरसों का साग कमजोर पाचन वाले लोगों को सीमित मात्रा में लेना चाहिए। थायरॉइड की समस्या या पथरी के मरीज इसे अधिक मात्रा में न खाएं, क्योंकि इसमें गोइट्रोजेंस और ऑक्सालेट्स मौजूद होते हैं।
आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों में सुपरफूड सरसों के साग की संतुलित मात्रा में सेवन से इम्युनिटी मजबूत होती है और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।
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