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'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता के फैसले को वापस लेना स्वागतयोग्य कदम : प्रियंका चतुर्वेदी

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। संचार साथी ऐप को लेकर जारी विवाद के बीच सरकार ने प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने समझा कि उनका झूठ पकड़ा गया है और उन्होंने ऐप की अनिवार्यता के फैसले को वापस ले लिया है। मैं इस कदम का स्वागत करती हूं।
'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता के फैसले को वापस लेना स्वागतयोग्य कदम : प्रियंका चतुर्वेदी

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। संचार साथी ऐप को लेकर जारी विवाद के बीच सरकार ने प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने समझा कि उनका झूठ पकड़ा गया है और उन्होंने ऐप की अनिवार्यता के फैसले को वापस ले लिया है। मैं इस कदम का स्वागत करती हूं।

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "शुरुआत में जैसे ही नोटिफिकेशन आया था, तो मैंने कहा था कि जिस तरीके से नोटिफिकेशन जारी किया गया है, वो नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। जनता को चुनने का मौका नहीं दे रहा है, बल्कि इस ऐप को बाध्य कर रहा है कि यह प्रीलोडेड ऐप आएगा।"

उन्होंने कहा, "दुनियाभर में कहीं कोई ऐसा सरकारी ऐप नहीं है, जो लोगों के मोबाइल में प्री-लोडेड को अनिवार्य बनाया हो। जब यह आवाज उठाई गई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सिर्फ आधा सच बताया कि जिसको रखना है, वह रखे और जिसको हटाना है, वह हटाए। यह भी पूरी तरह से गलत था, क्योंकि ऐप प्री-लोडेड था। ऐप के पास फोन के सारे एक्सेस होते।"

शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने कहा, "देश ने देखा कि कैसे पत्रकारों के मोबाइल में पैगासस डालने की कोशिश हुई थी। विपक्ष के नेताओं के पास भी मैसेज आया था कि स्टेट सर्विलेंस ऐप लगाए गए हैं। वे चाह रहे थे कि देश की जनता का डेटा लेकर उसको अपने लिए इस्तेमाल करें। सरकार ने समझा है कि उनका झूठ पकड़ा गया और ऐप को वापस लिया है, जिसका मैं स्वागत करती हूं।"

बता दें कि बुधवार को संचार मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सरकार ने मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। सरकार की ओर से यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है, जब संचार साथी ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन को लेकर विवाद पैदा हो गया है और कई विपक्षी नेताओं और पक्षकारों ने इस फैसले पर सवाल उठाए थे।

--आईएएनएस

एससीएच/एएस

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