यह सरकार अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास खो चुकी है: सपा विधायक हसन रूमी
लखनऊ, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। समाजवादी पार्टी के विधायक हसन रूमी ने दावा किया कि राज्य सरकार ने मौजूदा समय में अपनी कार्यशैली की वजह से अल्पसंख्यक समुदाय का विश्वास खो दिया है। स्थिति ऐसी बन चुकी है कि प्रदेश का कोई भी अल्पसंख्यक इस सरकार पर विश्वास नहीं कर रहा है। इस तरह की स्थिति सरकार के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
उन्होंने मंगलवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी और सीएम पद की जिम्मेदारी किसी और को नहीं, बल्कि हमारी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को मिलेगी। इसके बाद हमारी सरकार उन सभी फैसलों को बहाल करने का काम करेगी, जो मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को फायदा पहुंचाने के लिए हमारे शासनकाल में लिए गए थे। लेकिन, आज की तारीख में स्थिति ऐसी बन चुकी है कि उन सभी फैसलों को सरकार की तरफ से वापस लिया जा चुका है। वहीं, उन सभी योजनाओं को निरस्त किया जा चुका है, जिनका मुख्य मकसद अल्पसंख्यक समुदाय को फायदा पहुंचाना था। राज्य में हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अल्पसंख्यक समुदाय का किसी भी तरह से अहित नहीं हो।
समाजवादी पार्टी के विधायक ने कहा कि राज्य सरकार अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रही है, जो पूरी तरह से अनुचित है। हम ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं। समाज में सकारात्मक माहौल पैदा करने के लिए अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हर आरोपी के पास संवैधानिक शक्ति भी है, जिसके तहत वो अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। अगर आरोपी के पास बेगुनाही साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत होंगे, तो निश्चित तौर पर वो निर्दोष साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में अदालत को तमाम सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए आरोपी को निर्दोष साबित करना ही होगा। उसके पास कोई विकल्प नहीं रहेगा। हर आरोपी को, अगर उसे लगता है कि उसके ऊपर लगाए गए आरोप गलत हैं, तो वो अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
वहीं, उन्होंने कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत के संबंध में भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुझे पहले उनके बारे में अध्ययन करना होगा कि उन्हें किन शर्तों और आधार पर जमानत मिली है। मैं बिना अध्ययन किए इस बारे में किसी भी प्रकार की टिप्पणी नहीं कर सकता। हर आरोपी के पास अपनी जमानत के लिए अदालत का रुख करने का संवैधानिक अधिकार होता है।
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