राजनीति और शिक्षा में जो समाज पिछड़ जाता है, वो कभी आगे नहीं बढ़ पाता है: राजवीर सिंह
बदायूं, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। पूर्व सांसद राजवीर सिंह ‘राजू भैया’ ने कहा कि राजनीति और शिक्षा में जो समाज पिछड़ जाता है, वो कभी आगे नहीं बढ़ पाता है। वह स्वामी ब्रह्मानंद महाराज जी की 131वीं जयंती के अवसर पर बदायूं क्लब में आयोजित भव्य समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद महाराज जी ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि जब नेतृत्व में त्याग, तप और पारदर्शिता होती है, तब समाज स्वयं प्रकाशमान हो जाता है।
पूर्व सांसद राजवीर सिंह ने कहा कि स्वामी जी ने व्यक्तिगत सुविधा, संचय और राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर शिक्षा को जनसेवा का मूलाधार बनाया और आने वाली पीढ़ियों को एक स्थायी विरासत दी। उनके कार्य किसी एक समाज या क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में पवित्र धरोहर हैं।
उन्होंने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद जी का जीवन सादगी, अनुशासन और पूर्ण पारदर्शिता का मूर्त उदाहरण था। सांसद रहते हुए उन्होंने एक पैसे को हाथ तक नहीं लगाया और न ही कभी व्यक्तिगत जीवन में किसी प्रकार की विलासिता को स्थान दिया। पूर्व सांसद राजवीर सिंह ने कहा कि स्वामी जी स्वयं भोजन तक नहीं बनाते थे, जो भी प्रसाद या भोजन सेवा भाव से कहीं से उपलब्ध होता था, उसे ही स्वीकार करते थे। यह केवल सादगी नहीं बल्कि लोकसेवा में शुचिता और तप का प्रमाण था।
पूर्व सांसद राजवीर सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी ब्रह्मानंद जी के योगदान को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि स्वामी जी ने राठ में लगभग तीन हजार एकड़ भूमि पर एक विशाल महाविद्यालय की स्थापना की, जो आज हजारों युवाओं के भविष्य को दिशा दे रहा है। यह प्रयास उस समय का सबसे बड़ा ग्रामीण शैक्षणिक आंदोलन था, जिसका उद्देश्य वंचित तबके को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना था।
उन्होंने कहा कि आज उसी संस्थान को अखिल भारतीय लोधी राजपूत कल्याण महासभा के बैनर तले विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया प्रगति पर है, जो स्वामी जी के शिक्षा संकल्प को आगे बढ़ाने का दायित्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने राजनीति को सत्ता का साधन नहीं बल्कि सेवा का माध्यम माना। उनके आदर्श सादगी, ईमानदारी, समर्पण भावना और समाजोन्मुख शिक्षा आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
पूर्व सांसद राजवीर सिंह ने कहा कि जिस समाज में संतों के चरित्र, तप और विचारों का अनुसरण होता है, वहीं समाज अपनी गति भी बदलता है और दिशा भी। उन्होंने सभी लोगों से आह्वान किया कि स्वामी ब्रह्मानंद जी की शिक्षा, साधना, त्याग और सेवा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लें, क्योंकि यही आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य की सबसे मजबूत नींव है।
--आईएएनएस
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