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पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार में हुई, ईवीएम से हुए निष्पक्ष चुनाव: संजय झा

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार में ईवीएम की वजह से निष्पक्ष चुनाव हुए, इसलिए ईवीएम कभी नहीं हटनी चाहिए। चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा रिकॉर्ड्स के मुताबिक सबसे पहला मतदान केंद्र बिहार में कब्जा किया गया है। पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार में हुई। पहले चुनाव प्रचार के पैसे का एक हिस्सा गुंडे, गोली और बम खरीदने के लिए अलग से रखा जाता था।
पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार में हुई, ईवीएम से हुए निष्पक्ष चुनाव: संजय झा

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार में ईवीएम की वजह से निष्पक्ष चुनाव हुए, इसलिए ईवीएम कभी नहीं हटनी चाहिए। चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा रिकॉर्ड्स के मुताबिक सबसे पहला मतदान केंद्र बिहार में कब्जा किया गया है। पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार में हुई। पहले चुनाव प्रचार के पैसे का एक हिस्सा गुंडे, गोली और बम खरीदने के लिए अलग से रखा जाता था।

संजय कुमार झा ने रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि सबसे पहली बूथ कैप्चरिंग बिहार के बेगूसराय में हुई। यहां 1957 में कांग्रेस के राज में सरयू प्रसाद सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उनके पक्ष में बूथ कैप्चरिंग की गई थी।

राज्यसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि ये लोग वोट चोरी की बात कर रहे हैं, लेकिन बिहार में वर्ष 2005 में तो पूरा जनमत ही चोरी हो गया था। आधी रात को बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की पहल की गई। उन्होंने बताया कि तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार थी। रात को 12 बजे कैबिनेट मीटिंग की गई और राष्ट्रपति मॉस्को में थे। रात को ही फैक्स से राष्ट्रपति शासन के पत्र पर हस्ताक्षर करवाया गया।

उन्होंने कहा कि जो विधायक चुनाव जीत कर आए थे, वे चुनाव तो जीत गए, लेकिन शपथ ही नहीं ले पाए। उन्होंने वोट चोरी के आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि बिहार के चुनाव में सच्चाई सामने आ गई है।

संजय कुमार झा कहा कि बिहार में एसआईआर की बात की जा रही है, लेकिन बिहार में एसआईआर पहले भी किया जा चुका है। 2003 में जब इतनी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब मात्र एक महीने में एसआईआर पूरा किया गया था। उन्होंने राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान कहा कि चुनाव सुधार का कोई भी प्रयास तब तक अधूरा ही रहेगा जब तक कि मतदाता सूची पूरी तरह स्वच्छ नहीं होती।

उन्होंने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया में सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी। कहीं किसी ने कोई शिकायत नहीं की। इसे लेकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने बिहार में यात्रा निकाली, लेकिन जहां-जहां यह यात्रा निकाली, वहां से कांग्रेस साफ हो गई।

उन्होंने बताया कि बिहार में कांग्रेस के राज में एक प्रोफेशनल तरीके से बूथ कैप्चरिंग की जाती थी। बकायदा एक जिले के लोग दूसरे जिले में जाकर पूरी तैयारी के साथ बूथ कैप्चरिंग करते थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में पहली बार जब केजे राव को बिहार में चुनाव के लिए भेजा गया तो पहली बार लोगों ने निष्पक्ष चुनाव देखा। पहली बार यहां लोगों ने लाइन लगाकर ईवीएम के जरिए अपना वोट दिया है। पहले तो शुरुआती घंटों में ही चुनाव खत्म हो जाता था, बूथ लूट लिए जाते थे।

उन्होंने कहा कि बिहार के अनुभव से मैं एक बात जरूर कह सकता हूं कि बिहार में जो 65 लाख वोट कटे, उनमें से 40 प्रतिशत वोटर्स ऐसे थे, जिनकी 2003 से 2025 के बीच मृत्यु हो चुकी है। कई वोटर्स पलायन कर गए हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम कभी नहीं हटनी चाहिए। झा ने कहा कि वे इसके पक्के समर्थक हैं। इसी कारण बिहार में निष्पक्ष चुनाव हुए हैं।

--आईएएनएस

जीसीबी/डीकेपी

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