पटियाला हाउस कोर्ट में पीएफआई के 20 शीर्ष नेताओं पर आरोप तय करने की सुनवाई, एनआईए ने पेश की दलील
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। पटियाला हाउस कोर्ट में शनिवार को पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के 20 शीर्ष नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने की सुनवाई हुई। यह सुनवाई एनआईए की विशेष अदालत में आयोजित की गई थी। एनआईए ने आरोप तय करने के सिलसिले में अपनी दलील पूरी कर दी है।
एनआईए ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि पीएफआई देश में शरीया कानून लागू करने के उद्देश्य से काम कर रहा था। इसके लिए संगठन ने देशभर में ऑफिस खोले और मुस्लिम युवाओं को दूसरे धर्म के खिलाफ भड़काने की कोशिश की।
एनआईए ने अदालत को बताया कि पीएफआई के निशाने पर कई बीजेपी नेता और आरएसएस के सदस्य भी थे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि पीएफआई का उद्देश्य केवल धार्मिक हिंसा फैलाना ही नहीं था, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित कर देश में अलगाव और भय का माहौल बनाना था। यह संगठन लंबे समय से सक्रिय था और उसके कई नेता देशभर में फैलकर लोगों को अपने एजेंडे के लिए प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे।
अदालत में एनआईए ने यह तर्क दिया कि संगठन की गतिविधियों में न केवल कानून का उल्लंघन शामिल था, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए भी खतरा बन गया था। एनआईए ने अदालत से अनुरोध किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को गंभीरता से देखा जाए।
आज की सुनवाई में मुख्य रूप से एनआईए ने अपनी दलील अदालत के सामने रखी। अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अगली सुनवाई 23 दिसंबर 2025 के लिए निर्धारित की है।
गौरतलब है कि एनआईए ने 2022 में पीएफआई के 20 नेताओं को गिरफ्तार किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने संगठन पर बैन लगा दिया था। इसे हिंदुत्व समूहों से लड़ने के लिए गठित बताया गया और भारतीय गृह मंत्रालय ने इसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 28 सितंबर 2022 से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।
--आईएएनएस
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