पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए जरूर करें पिप्पली का सेवन, कमजोरी भी होगी दूर
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। सैकड़ों वर्षों से आयुर्वेद शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए औषधियों का उपयोग करता आया है। ऐसी ही एक अद्भुत औषधि है 'पिप्पली', जिसे लंबी काली मिर्च के नाम से भी जाना जाता है। यह सिर्फ मसाले के रूप में ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी गर्म तासीर और तीखा स्वाद इसे शरीर की कई बीमारियों के लिए लाभकारी बनाता है।
पिप्पली के कई गुण हैं। सबसे पहला और प्रमुख गुण यह है कि यह पाचन शक्ति को बढ़ाती है। पेट की कमजोरी, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं में पिप्पली बेहद लाभकारी साबित होती है। इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो पेट की नालियों को सक्रिय करके भोजन को जल्दी और सही तरीके से पचाने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इसे अग्निवर्धक कहा गया है, यानी यह शरीर की अग्नि को मजबूत करके पोषण देता है।
पिप्पली श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी होती है। पिप्पली खांसी, सर्दी, जुकाम और अस्थमा जैसी बीमारियों में राहत पहुंचाती है। यह फेफड़ों में जमा कफ को बाहर निकालने में मदद करती है। आयुर्वेद में इसे श्वासवर्धक और कफनाशक माना जाता है। इसके नियमित सेवन से फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है।
यह प्रतिरक्षा प्रणाली को सुधारती है। पिप्पली शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी तत्व होते हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। सर्दियों में जुकाम-खांसी या वायरल संक्रमण से बचाव के लिए पिप्पली का इस्तेमाल किया जाता है।
पिप्पली दिल और ब्लड सर्कुलेशन के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है। यह रक्त संचार को बढ़ाती है और शरीर में ऊर्जा का संचार करती है। साथ ही, यह शरीर की कमजोरी को दूर कर ताकत देती है।
इसके अलावा, पिप्पली डायबिटीज, थॉयराइड और वजन नियंत्रित करने में भी लाभकारी है। यह शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित रखती है और चर्बी को घटाने में मदद करती है।
पिप्पली का इस्तेमाल करने की प्रक्रिया भी सरल है। इसे सूखे रूप में चबाया जा सकता है या पाउडर बनाकर गर्म पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे अश्वगंधा या दालचीनी जैसी अन्य हर्ब्स के साथ मिलाकर लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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