शादी का झांसा देकर युवती से बनाए शारीरिक संबंध, पढ़ते हुए बने थे दोस्त, दस्तावेजों में भी की गई हेराफेर
पन्नूगंज थाना क्षेत्र में हाईस्कूल की एक छात्रा को शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने, गर्भवती होने पर जबरन गर्भपात की दवा देने और जान से मारने की धमकी देने के मामले में अदालत ने दोषी गौरव पटेल को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने ₹10,000 का अर्थदंड भी लगाया है, जिसे अदा न करने की स्थिति में दोषी को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) अमित वीर सिंह की अदालत ने सुनाया। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी ने नाबालिग लड़की की मासूमियत और भरोसे का नाजायज फायदा उठाया, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
क्या था मामला?
यह प्रकरण दिसंबर 2019 में प्रकाश में आया था, जब पीड़िता ने स्वयं पन्नूगंज थाने पहुंचकर आरोपी गौरव पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। पीड़िता ने तहरीर में बताया था कि वह हाईस्कूल की छात्रा है और स्कूल आते-जाते समय उसकी जान-पहचान गौरव पटेल पुत्र श्रीनाथ पटेल निवासी बेलहिया (पन्नूगंज थाना क्षेत्र) से हो गई थी। गौरव ने लड़की को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए और जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो जबरन गर्भपात की दवा खिलाकर उसका गर्भ नष्ट कर दिया। पीड़िता ने जब इसका विरोध किया तो आरोपी ने जल्दी शादी करने का वादा किया लेकिन बाद में मुकर गया।
मंदिर में शादी का बहाना, फिर अपमान और धमकी
पीड़िता ने यह भी बताया कि 1 दिसंबर 2019 को, वह चतरा बाजार गई थी जहां गौरव से मुलाकात हुई। गौरव ने मंदिर में शादी का बहाना बनाकर उसे अपने साथ ले गया। फिर सुनसान जगह ले जाकर जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया और चाकू दिखाकर धमकी दी कि वह उससे कभी शादी नहीं करेगा। आरोपी ने उसे एक दिन तक अपने पास बंधक बनाकर रखा, और 2 दिसंबर को छोड़ते समय चेतावनी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो पूरे परिवार को जान से मार देगा।
पुलिस और न्यायालय की कार्रवाई
जांच के दौरान पुलिस को पीड़िता की शिकायत, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पर्याप्त सबूत मिले। जिसके बाद धारा 376(2)(एन), 504, 506 IPC, 3/4 पॉक्सो एक्ट, तथा SC/ST एक्ट की धारा 3(2)5 के तहत गौरव पटेल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अधिवक्ताओं दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने प्रभावशाली पैरवी करते हुए सभी गवाहों और साक्ष्यों को मजबूती से प्रस्तुत किया।
सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर न्यायालय ने गौरव पटेल को दोषसिद्ध मानते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और ₹10,000 अर्थदंड की सजा सुनाई। साथ ही यह भी आदेश दिया कि यदि अर्थदंड की राशि जमा होती है, तो उसमें से ₹8,000 पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिया जाए।
समाज के लिए संदेश
यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि नाबालिग लड़कियों के साथ झूठे वादों के नाम पर किया गया शोषण गंभीर अपराध है और इसके लिए कानून सख्त कार्रवाई करता है। अदालत का यह निर्णय न्याय व्यवस्था में पीड़ितों के विश्वास को मजबूत करता है और संभावित अपराधियों को चेतावनी भी देता है कि कानून की पकड़ से कोई नहीं बच सकता।

