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ओडिशा में एसआई भर्ती घोटाले का मुख्य आरोपी नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस

कटक, 2 नवंबर (आईएएनएस)। ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा घोटाले के मुख्य आरोपी शंकर प्रुष्टि को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी लंबे समय से चल रही जांच का अहम पड़ाव मानी जा रही है और इससे परीक्षा धांधली के इस बड़े नेटवर्क की परतें खुलने की उम्मीद है।
ओडिशा में एसआई भर्ती घोटाले का मुख्य आरोपी नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस

कटक, 2 नवंबर (आईएएनएस)। ओडिशा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पुलिस उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा घोटाले के मुख्य आरोपी शंकर प्रुष्टि को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी लंबे समय से चल रही जांच का अहम पड़ाव मानी जा रही है और इससे परीक्षा धांधली के इस बड़े नेटवर्क की परतें खुलने की उम्मीद है।

आरोपी शंकर प्रुष्टि (32) गंजाम जिले के जगन्नाथपुर जंक्शन का रहने वाला है और भुवनेश्वर स्थित पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है।

पुलिस का कहना है कि शंकर प्रुष्टि ने अपने साथियों मुणा मोहंती, श्रीकांत महाराणा उर्फ रिंकू, अरविंद दास, टी. अभिमन्यु डोरा और प्रियदर्शिनी सामल के साथ मिलकर परीक्षा में अनियमितताएं कीं। आरोप है कि इस गिरोह ने अभ्यर्थियों से दो से 25 लाख रुपए तक की रिश्वत ली और बदले में चयन की गारंटी दी थी।

डीएसपी अनीला आनंद के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की विशेष टीम कई दिनों से इस आरोपी की तलाश में थी। शंकर लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था ताकि गिरफ्तारी से बच सके, लेकिन सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने उसे उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर के पास पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया और अब उसे ट्रांजिट रिमांड पर ओडिशा लाया जा रहा है।

जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी से कई अहम सबूत जब्त किए हैं। इनमें एक फॉर्च्यूनर गाड़ी, दो आईफोन, एक लावा मोबाइल, भारत सरकार का पासपोर्ट और कई संदिग्ध दस्तावेज शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि इन दस्तावेजों से इस पूरे रैकेट के काम करने के तरीके और उससे जुड़े अन्य लोगों की जानकारी मिलेगी।

घोटाले के उजागर होने के बाद 933 पदों के लिए आयोजित उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा को तुरंत रद्द कर दिया गया था। अब तक इस मामले में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें कई एजेंट, मध्यस्थ और तकनीकी सहयोगी भी शामिल हैं।

माना जा रहा है कि यह नेटवर्क राज्य के कई जिलों में फैला हुआ था और तकनीकी माध्यम से पेपर लीक करने व नकल कराने का काम करता था।

--आईएएनएस

पीआईएम/वीसी

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