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निरंतर विकास और उत्पादकता ही भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनाएगी : मनोज सिन्हा

श्रीनगर, 19 सितंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हिंदी पखवाड़े के अवसर पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया।
निरंतर विकास और उत्पादकता ही भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनाएगी : मनोज सिन्हा

श्रीनगर, 19 सितंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हिंदी पखवाड़े के अवसर पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया।

एलजी मनोज सिन्हा ने भारतीय भाषाओं में एकात्मता विषय पर अपने संबोधन में कहा कि भारत की भाषाई विविधता, भारत की श्रेष्ठता की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्कृति एवं विचारों की विविधताओं के बावजूद पहचान व चेतना के तल पर हम सभी एक हैं। उन्होंने कहा कि शांति और स्थिरता, एकता और साझा लक्ष्यों की भावना के साथ तथा एक सशक्त सामूहिक पहचान को बढ़ावा देते हुए भारत मजबूत विकास हासिल करेगा।

उन्होंने युवाओं से भाषाई सद्भाव द्वारा भारत को विकसित भारत में रूपांतरित करने के लिए राष्ट्र को एकजुट करने का आह्वान किया। उपराज्यपाल ने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी है। यह पत्थर की लकीर है। निरंतर विकास और उत्पादकता ही भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनाएगी। उन्होंने कहा कि हमें एक सोच, एक उद्देश्य व राष्ट्र-निर्माण के प्रति समान भावना के साथ आगे बढ़ना है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हिंदी एक आवश्यक सेतु का काम करते हुए विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के लोगों को आपस में जोड़े।

उपराज्यपाल ने कहा कि सैंकड़ों भाषाओं और बोलियों के माध्यम से हमारे समाज की विविधता, सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता अभिव्यक्त होती है। हमें सभी भारतीय भाषाओं में निहित एकात्मता को समझना, उन्हें सीखना तथा भाषाई व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को यह समझना होगा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक समान विचारधारा ने भाषाई मतभेदों को पार करते हुए भाषाई सद्भाव स्थापित किया एवं राष्ट्र को एकजुट किया था।

आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, विकसित भारत समान विचारधारा और भारत को विकसित भारत में बदलने के एक समान उद्देश्य से संचालित एक व्यापक आंदोलन है।

एलजी ने युवाओं से कहा कि समाज की आवश्यकताओं को जानना है, उसे समझना है और उसके लिए जीना है। उन्होंने कहा कि हमारे नीति निर्माताओं ने समावेशी विकास पर जोर दिया है और यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। उन्होंने युवाओं को मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को सीखने के लिए प्रेरित किया और कहा कि नई भाषाएं सीखने से दृष्टिकोण व्यापक होते हैं और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।

आज संपूर्ण विश्व भविष्य की संभावनाओं के लिए भारतवर्ष की तरफ उम्मीद से देख रहा है और भारत उसके लिए आप सभी युवाओं की तरफ देख रहा है। किस तरह आप अपने सामर्थ्य, अपने नवाचार, अपने शोध द्वारा आधुनिक विश्व का मार्गदर्शन करेंगे, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि नीतियों के निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन में आप कितनी सक्रिय जिम्मेदारी निभाते हैं।

उपराज्यपाल ने राजभाषा सेल स्थापित करने और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक गतिविधियां आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर की सराहना की। इस अवसर पर एलजी ने विविध भाषाओं के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लेखकों, विद्वानों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अतुल भाई कोठारी; निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर, प्रोफेसर विनोद कुमार कनौजिया; संभागीय आयुक्त कश्मीर, अंशुल गर्ग; शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सदस्य; प्रमुख साहित्यिक हस्तियां, विद्वान, संकाय सदस्य एवं छात्र उपस्थित थे।

--आईएएनएस

डीकेपी/

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